नई दिल्ली: पूरा उत्तर कड़ाके की ठंड और शीतलहर की चपेट में है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दिसंबर की सर्दी का यह आलम है कि यह 1901 के बाद दूसरी बार ऐसा हो सकता है जब साल का आखिरी महीना इतना सर्द रहा हो. शुक्रवार को न्यूनतम तापमान सामान्य से तीन डिग्री कम रहा. यहां पारा 4.2 डिग्री सेल्सियस तक लुढ़क गया. मौसम विभाग के अनुसार दिल्ली में अधिकतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस के इर्दगिर्द बना रह सकता है.
1997 में ऐसा हुआ था जब ऐसे लगातार 17 दिन कड़ाके की सर्दी पड़ी थी
दिल्ली में लगातार 13वें दिन कड़ाके की सर्दी पड़ रही है और इससे पहले 1997 में ऐसा हुआ था जब ऐसे लगातार 17 दिन कड़ाके की सर्दी पड़ी थी. भारतीय मौसम विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ दिसंबर में औसत अधिकतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से कम 1919, 1929,1961 और 1997 में रहा है.’’
दिसंबर के आखिरी महीने में इस साल औसत अधिकतम तापमान अब तक 19.85 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया और यह दिसंबर 31 तक 19.15 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाने की संभावना है. अधिकारी ने कहा, ‘‘ अगर ऐसा होता है तो यह 1901 के बाद दूसरा सबसे सर्द दिसंबर होगा. दिसंबर 1997 में औसत अधिकतम तापमान 17.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.’’
अधिकतम तापमान के सामान्य से कम से कम साढ़े चार डिग्री कम रहने पर दिन को ‘ठंडा’ माना जाता है, अधिकतम तापमान के सामान्य से कम से कम साढ़े छह डिग्री कम रहने पर दिन को ‘बेहद ठंडा’ माना जाता है. मौसम के कारण उत्तर भारत में 21 ट्रेनें अधिकतम छह घंटे की देरी से चल रही हैं.
भूमध्य सागर में पैदा होने वाले असमान्य और शक्तिशाली 'पश्चिमी विक्षोभ' ने हिंदी पट्टी सहित समूचे उत्तर भारत को बीते पखवाड़े से ठिठुरने को मजबूर किया है. यह स्थिति चार से पांच दशकों में एक बार पैदा होती है, जो लोगों को नए साल पर भी कंपकंपाएगी.
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