नई दिल्ली: सोमवार को मोदी कैबिनेट ने डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग और अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक को एक बार फिर से मंजूरी दे दी. अब इसे संसद में एक बार फिर पेश किया जाएगा. इस बिल को इसी साल जनवरी में लोकसभा में पास किया गया था लेकिन राज्यसभा में यह बिल अटक गया था. पिछली लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के कारण यह बिल निष्प्रभावी हो गया. देश में डीएनए प्रौद्योगिकी के उपयोग को विनियमित करने के लिए सरकार द्वारा कानून बनाने के लिए कैबिनेट द्वारा बिल को मंजूरी देने का यह तीसरा प्रयास है. विधेयक के एक पुराने संस्करण को 2015 में अंतिम रूप दिया गया था लेकिन इसे संसद में पेश नहीं किया जा सका.
विधेयक का उद्देश्य
इस विधेयक का उद्देश्य अपराधों के जांच दर में बढ़ोतरी के साथ देश की न्यायिक प्रणाली को समर्थन देने एवं उसे सुदृढ़ बनाने के लिये डीएनए आधारित फोरेंसिक प्रौद्योगिकियों के प्रयोग को विस्तारित करना है. यह कानून प्रवर्तन एजेंसियों को डीएनए के नमूने एकत्र करने, "डीएनए प्रोफाइल" बनाने और अपराधों की फोरेंसिक जांच के लिये विशेष डेटाबेस तैयार करने की अनुमति देता है.
डीएनए परीक्षण का उपयोग पहले से ही कई उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है जैसे, आपराधिक जांच, पेरेंटेज की स्थापना, और लापता लोगों की खोज आदि. प्रस्तावित कानून इन प्रथाओं की देखरेख करने के लिए एक पर्यवेक्षी संरचना लाना चाहता है और दिशानिर्देशों के जरिए यह सुनिश्तित करना चाहता है कि डीएनए प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग न हो.
इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए विधेयक में दो संस्थागत ढांचे - एक डीएनए नियामक बोर्ड और दूसरा डीएनए डेटा बैंक को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने का प्रस्ताव है. डीएनए नियामक बोर्ड डीएनए संग्रह, परीक्षण और भंडारण के लिए नियमों और दिशानिर्देशों को फ्रेम करेगा जबकि डेटा बैंक नियमों के तहत विभिन्न लोगों से एकत्र किए गए सभी डीएनए नमूनों का भंडार होगा. विधेयक का प्रस्ताव है कि डीएनए नमूनों का परीक्षण केवल उन प्रयोगशालाओं में किया जा सकता है जो नियामक बोर्ड द्वारा ऐसा करने के लिए अधिकृत हैं.
डीएनए डेटा बैंक उन परिस्थितियों को भी रेखांकित करेगा जिनके तहत किसी व्यक्ति को डीएनए नमूने प्रस्तुत करने के लिए कहा जा सकता है.जिन उद्देश्यों के लिए इस तरह के अनुरोध किए जा सकते हैं.
क्या होगा डीएनए जांच का प्रोसेस
1-प्रस्तावित कानून के प्रावधानों के अनुसार, पुलिस अपराध के आरोपी व्यक्ति के डीएनए नमूने की जांच के लिए कह सकती है लेकिन जब तक अपराध बहुत गंभीर प्रकृति का न हो और मौत की सजा या कम से कम सात साल तक कारावास न हो तो ऐसी स्थिति में डीएनए नमूना आरोपी की लिखित सहमति पर ही प्राप्त किया जा सकता है. इसके अलावा यदि एक अधिकृत मजिस्ट्रेट कहता है कि अपराध की जांच के लिए डीएनए परीक्षण बिल्कुल आवश्यक है तो डीएनए नमूने की जांच की जा सकती है.
2- जो लोग किसी अपराध के गवाह हैं या अपने लापता रिश्तेदारों का पता लगाना चाहते हैं या फिर इसी तरह की कोई अन्य परिस्थिति है तो वे स्वेच्छा से अपने डीएनए नमूने देने के लिए लिखित सहमति दे सकते हैं.
3-डीएनए नमूने को अपराध स्थल पर पाए जाने वाली वस्तुओं या आरोपी के शरीर से एकत्र किया जा सकता है. एक अधिकृत तकनीशियन या चिकित्सक द्वारा एकत्र किए गए डीएनए परीक्षण और विश्लेषण के लिए एक मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला में भेजना होगा. इन परीक्षणों से उत्पन्न जानकारी को अनिवार्य रूप से निकटतम डीएनए डेटा बैंक के साथ साझा करना होगा.
4-प्रावधानों के तहत डेटा बैंकों को सूचनाओं को पांच सूचकांकों में से एक में संग्रहीत करना आवश्यक है. ये पांच सूचकांक हैं- एक अपराध दृश्य सूचकांक, एक संदिग्ध या उपक्रमीय सूचकांक, एक अपराधी का सूचकांक, एक लापता व्यक्ति का सूचकांक और एक अज्ञात मृतक व्यक्ति के सूचकांक.
5-जिन लोगों के डीएनए नमूने एकत्र किए गए हैं वे या तो अपराध स्थल से या स्वैच्छिक लिखित सहमति के माध्यम से अपनी जानकारी को सूचकांक से हटाने का अनुरोध कर सकते हैं.वहीं, कुछ सामाजिक कार्यकर्त्ताओं ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा है कि जिस तरीके से डीएनए की जानकारी एकत्र की जानी है और उन्हें फोरेंसिक प्रयोगशालाओं द्वारा संग्रहीत किया जाना है उससे गोपनीयता के उल्लंघन की आशंका हो सकती है.
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