नई दिल्ली: भारत सरकार ने डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) रिफॉर्म्स पर अप्रोच पेपर जारी कर कहा कि कोविड-19 जैसी स्वास्थ्य क्षेत्र की उभरती चुनौतियों से लड़ने के लिए डब्ल्यूएचओ का वैश्विक स्वास्थ्य प्रशासन और सहायक संरचनाएं मजबूत और अनुकूल होनी चाहिए.

सरकार ने कहा कि महामारी और वैश्विक महामारी से निपटने के लिए एक ऐसा वैश्विक रिस्पांस चाहिए जो आपसी सामंजस्य और त्वरित हो, क्योंकि इस तरह की चुनौतियां न केवल स्वास्थ्य के अलावा आर्थिक और सामाजिक प्रभाव डालती हैं बल्कि ये एक एतिहासिक अवसर होती हैं जब एक बेहतर और प्रभावी नई वैश्विक साझेदारी बनाई जाए. भारत सरकार ने अप्रोच पेपर में कुछ सुझाव दिए हैं.

पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ऑफ इंटरनेशनल कंसर्न डिक्लेयर प्रोसेस को सुदृढ़ किया जाए. इस प्रक्रिया की घोषणा में पारदर्शिता और तेजी लाई जाए.

सरकार ने फंडिंग में भी सुधार की बात कही है और कहा है कि बजट के बाहर या स्वैच्छिक फंड योगदान के इस्तेमाल में लचीलापन लाया जाए. डब्ल्यूएचओ को नियमित बजट को बढ़ाने का भी सुझाव दिया गया है.

फंडिग प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने और जवाबदेही के लिए एक ढ़ांचा तैयार करने की बात भी कही गई है.

डब्ल्यूएचओ के कार्यक्रम इस बात पर फोकस करें कि सदस्य देशों की जरूरत के हिसाब से इंटरनेशनल हेल्थ रेगुलेशन 2005 के तहत जरूरी क्षमता का निर्माण हो सके.

डब्ल्यूएचओ की शासन संरचना में सुधार के साथ सदस्य राज्यों द्वारा प्रभावी निरीक्षण के लिए व्यवस्था बनाने की बात कही गई है.

इंटरनेशनल हेल्थ रेगुलेशन 2005 के क्रियान्वयन में सुधार की बात कही गई है.

कोविड-19 से लड़ने के लिए जरूरी दवाओं, वैक्सीन और अन्य सुविधाओं की औचित्यपूर्ण, सस्ती और बराबर उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा गया है.

संक्रामक बीमारियों और वैश्विक महामारी के प्रबंधन के लिए ग्लोबल फ्रेमवर्क बनाने का सुझाव दिया गया है.

महामारी प्रबंधन के साथ डिजिटल हेल्थ अजेंडा को भी इंटीग्रेट करने का सुझाव दिया गया है.

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