Prasanna B Varale: कर्नाटक हाईकोर्ट चीफ जस्टिस प्रसन्ना बी वराले ने गुरुवार (25 जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर शपथ ली. भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने जस्टिस वराले को नई दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट परिसर में एक समारोह में शपथ दिलवाई. जस्टिस वराले की नियुक्ति के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के साथ 34 जज हो गए हैं. 25 दिसंबर को जस्टिस संजय किशन कौल की रिटायरमेंट के बाद सुप्रीम कोर्ट में एक जस्टिस कम थे. 


दरअसल, कानून एवं न्याय मंत्रालय ने बुधवार (24 जनवरी) को जस्टिस वराले की सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर नियुक्ति का एलान किया. सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम ने 19 जनवरी को जस्टिस वराले को प्रमोट करने की सिफारिश की थी. कॉलिजियम ने कहा कि 2008 में बॉम्बे हाईकोर्ट के जज के तौर पर नियुक्त होने वाले जस्टिस वराले को काफी अनुभव हो गया है. वह कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी रह चुके हैं. उनके एक्सपीरियंस के आधार पर उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया.


जस्टिस प्रसन्ना बी वराले के सुप्रीम कोर्ट का जज बनने के साथ ही पहली बार ऐसा हो रहा है कि अनुसूचित जाति से आने वाले तीन जज शीर्ष अदालत में हैं. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सीटी रविकुमार भी अनुसूचित जाति से आते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि जस्टिस प्रसन्ना बी वराले कौन हैं.


कौन हैं जस्टिस वराले? 


जस्टिस प्रसन्ना बी वराले का जन्म 23 जून, 1962 को कर्नाटक के निपाणी में हुआ. उनका वकालत का करियर काफी शानदार रहा है. जस्टिस वराले ने 1985 में डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर मराठवाड़ा यूनिवर्सिटी से आर्ट्स एंड लॉ में ग्रेजुएशन किया. इसके बाद उन्होंने 1985 में अपने वकालत के करियर की शुरुआत की. उन्हें जुलाई 2008 में बॉम्बे हाईकोर्ट में एडिशनल जज के तौर पर नियुक्त किया गया. तीन साल बाद उन्हें हाईकोर्ट का स्थायी जज बना दिया गया. 


बॉम्बे हाईकोर्ट में जस्टिस वराले ने 14 साल तक अपनी सेवाएं दीं, जिसके बाद उन्हें अक्टूबर 2022 में कर्नाटक हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया. यहां गौर करने वाली बात ये है कि देश के सभी हाईकोर्ट्स में उस वक्त वह अनुसूचित जाति से आने वाले इकलौते चीफ जस्टिस रहे. जस्टिस वराले अपने वकालत के सफर का श्रेय डॉ बीआर अंबेडकर के साथ अपने परिवार के जुड़ाव को देते हैं. उनका कहना है कि अंबेडकर का उनके परिवार पर काफी प्रभाव रहा है. 


कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर उन्होंने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्देश दिए और फैसले सुनाए. उन्होंने उन मामलों पर भी सुनवाई की, जिसमें सरकार के आचरण पर सवाल उठाए गए और उन अधिकारियों पर जुर्माना भी लगाया, जो सही काम नहीं कर रहे थे. 


यह भी पढ़ें: सु्प्रीम कोर्ट में पहली बार होंगे अनुसूचित जाति के तीन जज, केंद्र ने जस्टिस पीबी वराले के नाम की सिफारिश की मंजूर