नई दिल्लीः लोक जनशक्ति पार्टी में फूट अब चुनाव आयोग के दरवाज़े तक पहुंच चुकी है. इस टूट के लिए पशुपति पारस गुट चिराग पासवान के बेहद क़रीबी सौरभ पांडेय को ज़िम्मेदार बता रहा है. पशुपति पारस तो सौरभ पांडेय को असामाजिक तत्व बता चुके हैं. सवाल ये है कि क्या इस टूट के लिए सौरभ पांडेय ज़िम्मेदार हैं?


ऐसे में आज सौरभ पांडेय ने एक ट्वीट कर पलटवार किया है. पांडेय ने ट्वीट कर एक पत्र जारी किया है जिसे ख़ुद रामविलास पासवान ने अपने हाथों से उन्हें लिखा था. 2020 में नए साल के उपलक्ष्य में लिखे गए इस पत्र में कई चौंकाने वाली बातें लिखी गई हैं. पत्र पढ़ने से ये साफ़ पता चलता है कि चिराग पासवान के साथ सौरभ पांडेय की नज़दीकी महज इत्तेफ़ाक़ नहीं है और इसे ख़ुद रामविलास पासवान का आशीर्वाद हासिल था. 




ट्विटर पर पत्र को साझा करते हुए पांडेय ने लिखा है - " 


जिसने मेहनत देखी है अब वो हैं नहीं , जिसने पार्टी को आगे बढ़ाने की ज़िद्द देखी है अब वो हैं नहीं. आइए हम सब चिराग के नेतृत्व में आगे चलें". पत्र में रामविलास पासवान ने सौरभ पांडेय का अपने बेटे और चिराग पासवान के भाई जैसा बताया है.


पत्र में पासवान ने यहां तक लिखा है कि 2013 में राजनीति में प्रवेश करने वाले चिराग पासवान बहुत कम समय में राजनीति के शिखर पर पहुंच गए. रामविलास पासवान ने आगे लिखा है कि चिराग पासवान आज राजनीति की जिस ऊंचाई पर आकर पहुंचे हैं उसमें सबसे बड़ा योगदान सौरभ पांडेय का ही है. 




अपने पत्र में रामविलास पासवान ने सौरभ पांडेय को लिखा है कि जब व्यक्ति का कद बढ़ता है तो आलोचक भी बढ़ते हैं लेकिन उससे ज़्यादा प्रशंसक बढ़ते हैं. पासवान ने लिखा कि सौरभ पांडेय को कभी कभी ताने भी सुनने पड़ते हैं.


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