नई दिल्ली : तीन तलाक को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हर रोज सुनवाई हो रही है. इसी दौरान ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएमबी) की एक दलील का बीजेपी ने विरोध किया है. दलील में कहा गया था कि 'अयोध्या में राम का जन्म आस्था का विषय है ऐसे ही तीन तलाक भी आस्था का विषय है.' बीजेपी के अलावा सोशल मीडिया पर अन्य लोग भी इसका विरोध कर रहे हैं.
इस मामले में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने भी ट्वीट किया है
इस मामले में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने भी ट्वीट किया है. उन्होंने तीन तलाक को स्त्री शोषण की प्रथा बता दिया है. गौरतलब है कि 5 जजों की संविधान पीठ के सामने पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल की दलीलें धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार पर केंद्रित रहीं. उन्होंने कहा कि तीन तलाक की व्यवस्था 1400 साल पुरानी है. ये सवाल उठाना गलत है कि ये धर्म का अनिवार्य हिस्सा है या नहीं.
पैगंबर के निधन के सिर्फ 5 साल बाद 637 में तीन तलाक की व्यवस्था शुरू हुई
इसके साथ ही सिब्बल ने बताया कि 632 ई. में पैगंबर के निधन के सिर्फ 5 साल बाद 637 में तीन तलाक की व्यवस्था शुरू हुई. पैगंबर के सहयोगी हज़रत उमर ने इसे मान्यता दी. इसलिए, ये आस्था का विषय है. इस पर सवाल उठाना सही नहीं. ये ठीक ऐसे ही है जैसे अगर हिन्दू ऐसा मानते हैं कि राम का जन्म अयोध्या में हुआ तो इस पर सवाल नहीं उठाना चाहिए.
इस बात पर कानून बनाया जा सकता है कि दिगंबर जैन साधु नग्न न घूमें?
सिब्बल ने कहा- क्या कल को इस बात पर कानून बनाया जा सकता है कि दिगंबर जैन साधु नग्न न घूमें? आखिर किस सीमा तक जाकर कानून बनाएंगे? सिब्बल के अनुसार सवाल ये भी है कि सिर्फ हमसे ही सवाल क्यों पूछे जा रहे हैं? खास बात ये है कि कोर्ट खुद संज्ञान लेकर ऐसा कर रही है. इस पर बेंच के सदस्य जस्टिस रोहिंटन नरीमन ने पूछा- “क्या आप ये कहना चाहते हैं कि हमें इस मामले को नहीं सुनना चाहिए?”
1400 साल बाद कुछ महिलाएं हमारे पास आई हैं, हमें सुनवाई करनी होगी
सिब्बल ने कहा- “हां, आपको इसे नहीं सुनना चाहिए.” जस्टिस कुरियन जोसफ ने पूछा-क्या ईमेल से भी तलाक हो रहे हैं? सिब्बल ने कहा-तलाक व्हाट्सऐप से भी हो रहे हैं. लेकिन सवाल ये है कि क्या आस्था से जुड़े विषय में कोर्ट दखल दे सकता है. इस पर संविधान पीठ के सदस्य जस्टिस कुरियन जोसफ ने कहा, “हो सकता है ये परंपरा 1400 साल पुरानी हो. 1400 साल बाद कुछ महिलाएं हमारे पास आई हैं. हमें सुनवाई करनी होगी.”