नई दिल्लीः द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) नेता एम करुणानिधि का निधन मंगलवार देर शाम हुआ और आज शाम चेन्नई के मरीना बीच पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. दक्षिण की राजनीति में अन्नादुरै के बाद दूसरे सबसे बड़े नेता के तौर पर उभरे करुणानिधि का राजनितिक जीवन एक दिलचस्प कहानी से कम नहीं रहा. उनके जीवन में प्रसंशक या कहें समर्थक रहे, आलोचक रहे और दुश्मन भी रहे. करुणानिधि की एक ऐसी ही दुश्मन रहीं तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता. जयललिता ने बदले की भावना में करुणानिधि के साथ वो किया जो भारतीय राजनिति के सबसे भयानक बदले के तौर पर याद किया जाता है.
तारीख 29 जून साल 2001. रात के लगभग 1.30 से 2 बजे के बीच का समय एम करुणानिधि अपने आवास पर ही थे लेकिन तभी पुलिस अधिकारियों का एक दल करुणानिधि के आवास में दाखिल होता है. पुलिस करुणानिधि के कमरे से बाहर आने तक का इंतजार नहीं करती और उन्हे घसीटते हुए बाहर लाती है. पुलिस के जवान उन्हें चप्पल तक नहीं पहनने देते और ना ही खुद के पैरों पर चलने देते हैं. उस वक्त 77 साल के पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि चिल्ला रहे होते हैं लेकिन पुलिस 'आदेश' के मुताबिक उन्हें घसीट कर बाहर लाती है. पुलिस की इस कार्रवाई की वजह थी चेन्नई के एक फलाई ओवर निर्माण में करुणानिधि पर करप्शन का आरोप. 12 करोड़ की लागत वाले इस प्रोजेक्ट में संलिप्त होने के शक में करुणानिधि के साथ ये हैरान करने वाला सलूक किया गया.
चेन्नई में दो राजनीतिक पार्टियों के बीच इस द्वंद की आग दिल्ली तक पहुंची. केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने जयललिता सरकार के इस कदम की आलोचना की. इतना ही नहीं कोर्ट ने भी इस मामले की सुनवाई के दौरान जयललिता सरकार की जमकर आलोचना की.
जयललिता ने इस आलोचनाओं की चिंता नहीं की और अपने अपमान का बदला लिया. 1989 में भरे सदन में जयललिता का अपमान किया गया. 25 अगस्त 1989 के दिन तत्कालीन मुख्यमंत्री एम करुणानिधि तमिलनाडु विधानसभा का बजट पेश कर रहे थे. उस वक्त विपक्ष की नेता जयललिता ने सदन में हंगामे के बीच तीखा विरोध किया. इस दौरान सत्ताधारी डीएमके के एक सदस्य ने उन्हें रोकने की कोशिश में उनकी साड़ी खींची. जयललिता जमीन पर गिर पड़ी और फिर गिरने के बाद जब खड़ी हुईं तो साल 2001 में करुणानिधि को उन्हीं के घर से घसीटा कर बाहर लाया गया.
आखिर क्यों समर्थक चाहते हैं मरीना बीच़ पर समाधि
चेन्नई की मरीना बीच महज एक बीच नहीं है बल्कि दक्षिण में द्रविड़ की राजनीति में इस जगह का खास महत्व है. ये बीच दिग्गज द्रविड़ राजनेताओं की समाधि के लिए जानी जाती है. मरीना बीच वो जगह है जो द्रविड़ राजनीति का इतिहास बयां करती है. इस जगह पर द्रविड़ राजनीति के तीन सबसे बड़े नेताओं की समाधि है.
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के संस्थापक सीएन अन्नादुरै की समाधि भी मरीना बीच ही है. अन्नादुरै के बाद दक्षिण के बड़े नेता एमजीआर को मरीना बीच पर जगह दी गई और हाल ही के दिनों में एमजीआर की राजनीतिक धरोहर संभालने वाली जे. जयललिता को मरीना बीच पर समाधि दी गई. ऐसे में भारतीय राजनीति को 61 साल देने वाले एम करुणानिधि के लिए भी उनके समर्थक मरीना बीच पर समाधि की मांग कर रहे हैं.
हालांकि ये जानना बेहद जरूरी है कि द्रविड़ आंदोलन के जनक पेरियार की समाधि मरीना बीच पर नहीं बनाई गई. चेन्नई के दूसरे इलाके को पेरियार के लिए चुना गया जो आज 'पेरियार थिडाल' के नाम से जाना जाता है.