नई दिल्ली:  ऑफिस में महिलाओं के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न के मामले में उनकी रक्षा के लिए 'विशाखा गाइडलाइन्स' है. हालांकि देश के सभी दफ्तरों में विशाखा गाइडलाइन्स के नियमों का पालन नहीं होता.  नियमों के मुताबिक कंपनी/संस्थान के मुख्यालय या ब्रांच में जहां भी 10 या इससे अधिक कर्मी हैं वहां इंटर्नल कम्प्लेंट्स कमेटी (आईसीसी) बनाना अनिवार्य है.संस्थान ऐसे में हम आपको बता रहे हैं 'विशाखा गाइडलाइन्स' से जुड़ी हर वो जानकारी जिसे जानना आपके लिए है जरूरी.

विशाखा गाइडलाइन्स कैसे बना?

साल 1992 के राजस्थान के चर्चित भवंरी देवी गैंगरेप केस के बाद महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों के लिए आवाज उठाने वाली संस्था विशाखा ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की. भवंरी देवी राजस्थान सरकार के एक कल्याणकारी योजना में कार्यरत थी. उन्होंने जब राजस्थान में बाल विवाह का विरोध किया तो कई लोगों ने उनके साथ रेप किया. सुप्रीम कोर्ट ने इस केस के मद्देनजर 1997 में कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश (विशाखा गाइडलाइन्स) दिये और सरकार से कहा है वह जरूरी कानून बनाए.

विशाखा गाइडलाइन्स से पहले महिलाओं के खिलाफ होने वाले यौन हिंसा जैसे अपराध से निपटने के लिए काफी पुराना 1860 का कानून था. सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर 19 अक्टूबर 2012 को एक अन्य याचिका पर सुनवाई करते हुए नियामक संस्थाओं से कहा था कि वह यौन हिंसा से निपटने के समितियों का गठन करे. उसके बाद केंद्र सरकार ने अप्रैल 2013 में 'सेक्शुअल हैरैसमेंट ऑफ विमिन ऐट वर्क-प्लेस ऐक्ट' को मंजूरी दी.

क्या है विशाखा गाइडलाइन्स?

कानून के तहत किसी को गलत ढ़ंग से छूना या छूने की कोशिश करना, गलत ढ़ंग से देखना, यौन संबंध बनाने के लिए कहना या इससे संबंधित टिप्पणी करना, सेक्सुअल इशारे करना, सेक्सुअल जोक्स महिलाओं को सुनाना/भेजना, पोर्नोग्राफी दिखाना ये सब यौन उत्पीड़न के दायरे में आते हैं.

विशाखा गाइलाइन्स और 2013 के कानून के तहत इंटर्नल कम्प्लेंट्स कमेटी (आईसीसी) का निर्माण करना होगा. आईसीसी की अध्यक्ष महिला होगी और इस कमेटी में अधिकांश महिलाओं को रखना अनिवार्य है. कमेटी में यौन शोषण के मुद्दे पर काम कर रही किसी बाहरी गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) की एक प्रतिनिधि भी शामिल हो.

कंपनी/संस्थान के मुख्यालय या ब्रांच में जहां भी 10 या इससे अधिक कर्मी हैं वहां आईसीसी बनाना अनिवार्य है.संस्थान में काम करने वाली महिलाएं किसी भी तरह की यौन हिंसा की शिकायत आईसीसी के पास कर सकती है.

संस्थान की जिम्मेदारी है कि जिस पीड़ित ने शिकायत की है उसपर किसी तरह के हमले या दबाव न हो. कमेटी साल भर में आई शिकायतों और कार्रवाई के बारे में सरकार को रिपोर्ट करना होगा. कमेटी ने अगर किसी को दोषी पाया तो उसके खिलाफ आईपीसी की संबंधित धाराओं के अलावा अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.

क्यों है विशाखा गाइडलाइन एक बार फिर चर्चा में

दरअसल ग्रेटर नोएडा में मशहूर आईटी कंपनी जेनपैक्ट कंपनी के असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट स्वरूप राज के घर में खुदकुशी करने का मामला सामने आया है. स्वरूप राज पर कंपनी की दो महिलाओं ने छेड़छाड़ का आरोप लगाया था. आरोपों के स्वरूप राज को कंपनी ने नौकरी से निकाल दिया था. आरोपों के बाद कंपनी ने इंटरनल जांच बिठाई थी, इस जांच में स्वरूप पर आरोप सही पाए थे. पुलिस को एक सुसाइड नोट मिला है जिसमें स्वरूप राज ने खुद को निर्दोष बताया है. फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है.