नई दिल्ली: आधार कार्ड की अनिवार्यता पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने 4:1 की बहुमत से संवैधानिक करार दिया है, लेकिन इके साथ ही ये कहा कि इसका बनवाना जरूरी नहीं है और गैर सरकारी कंपनियां पहचान के लिए आधार की मांग नहीं कर सकती. सुप्रीम कोर्ट ने आधार ऐक्ट की धारा 57 को रद्द करते हुए कहा कि प्राइवेट कंपनियां आधार की मांग नहीं कर सकतीं. सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल में दाखिले या बैंक में खाता खुलवाने आदि के लिए भी इसकी अनिवर्यता को खत्म भी कर दिया है.
आइए जानते हैं कि आखिर आधार एक्ट क्या है और सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले से क्या कुछ बदल जाएगा.
आधार क्या है?
दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल पहचान पत्र है.
क्या है आधार एक्ट?
- आधार का बनवाना हर नागरिक के लिए जरूरी नहीं है, ये स्वैच्छिक है.
- जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश का हर नागरिक अपना आधार बनवा सकता है
- आधार बनवाले पर 12 आंकों का आधार नंबर मिलेगा
- इसे भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) जारी करता है.
- आधार के लिए डेमोग्राफिक और बॉयोमीट्रिक जानकारी ली जाती है. डेमोग्राफिक का मतलब हुआ कि आपका नाम, पिता का नाम, जन्मतिथि, पता और दूसरी जानकारियां ली जाती हैं. इसी तरह बॉयोमीट्रिक जानकारी के तहत 10 अंगूलियों की फिंगर प्रिंट और आएरिस स्कैन किया जाता है.
- आधार अधिनियम 2016 के मुताबिक, UIDAI आधार नामांकन और प्रमाणीकरण जैसे सभी चरणों के संचालन और प्रबंधन, व्यक्तियों को आधार संख्या जारी करने, सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नीति बनाने, व्यक्तियों के प्रमाणीकरण रिकॉर्ड की पहचान के लिए जिम्मेदार है.
- नस्ल, धर्म, जाति, जनजाति, रेस, मातृ भाषा जैसे जानकारियां आधार के लिए नहीं ली जा सकती हैं.
- आमदी की जानकारी नहीं ली जा सकती है
- मेडिकल हिस्ट्री नहीं ली जा सकती है
- क्रिमिनल रिकॉर्ड की जानकारी नहीं ली जा सकती है
आधार कार्ड क्या है?
- आधार कार्ड एक भौतिक और इलेक्ट्रॉनिक प्रमाण पहचान पत्र है.
- आधार कार्ड पर व्यक्ति का नाम, आधार संख्या, नामांकन संख्या, फोटो, पता, जन्मतिथि, लिंग और BAR कोड दर्ज होता है.
- अगर किसी व्यक्ति के पास आधार है तो कानूनी तौर पर वो भारत का नागरिक नहीं भी हो सकता है, क्योंकि ये नागरिकता का प्रमाण पत्र नहीं है और न ही आवासीय प्रमाण पत्र है.