पेरिस: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस की राजधानी पेरिस में हैं. पीएम मोदी वहां जी-7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए गए हैं. बैठक के इतर आज पीएम मोदी की अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात होनी है. ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि इस मुलाकात में कश्मीर मसले पर भी बात होगी. दोनों नेताओं के बीच जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद ये पहली मुलाकात है.
खत्म होने का नाम नहीं ले रही पाकिस्तान की बेचैनी
जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 को खत्म करने के बाद वहां हालात को तेजी से सामान्य बनाया जा रहा है और पाकिस्तान की बेचैनी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. ऐसे समय में फ्रांस के बिआरिट्ज में जी-7 देशों के राष्ट्र प्रमुखों की मीटिंग के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के बीच मुलाकात के मायने काफी अहम हो जाते हैं. डोनल्ड ट्रंप की फ्रांस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात यूं ही नहीं है. इससे पहले दोनों नेताओं के बीच टेलीफोन पर बात हो चुकी है. उस बातचीत के एजेंडे में भले ही दूसरी चीजें भी थीं, लेकिन जम्मू कश्मीर का जिक्र प्रमुखता से आया. 20 अगस्त को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फिर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से टेलीफोन पर बात की थी.
बातचीत के बाद ट्रंप ने कहा था, ‘’अपने दो अच्छे दोस्तों, भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से व्यापार, रणनीतिक साझेदारी और सबसे अधिक महत्वपूर्ण भारत और पाकिस्तान के कश्मीर में तनाव कम करने को लेकर बात की.’’ उन्होंने लिखा, ‘‘ मुश्किल स्थिति, लेकिन अच्छी बातचीत.’’
मध्यस्थता का दावा करके ट्रंप ने चौंका दिया था
हाल के दिनों में ये दूसरा मौका था जब ट्रंप ने कश्मीर का ज़िक्र किया. इससे पहले पिछले महीने जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अमेरिका गए थे तो ट्रंप ने खुद मध्यस्थता की बात कहकर सबको चौंका दिया था. ट्रंप ने कहा था , ‘‘मैं दो सप्ताह पहले पीएम मोदी के साथ था और हमने कश्मीर पर बात की थी और उन्होंने वास्तव में कहा, ‘क्या आप मध्यस्थता या मध्यस्थ बनना चाहेंगे?’ मैंने कहा, ‘कहां?’ मोदी ने कहा ‘‘कश्मीर.’’
जम्मू कश्मीर में अऩुच्छेद 370 हटाने की घोषणा 5 अगस्त को देश की संसद में हुई थी. तब से लेकर अभी तक ये मुद्दा गर्म है. कश्मीर में तो हालांकि हालात धीरे-धीरे सामान्य होने की ओर बढ़ रहे हैं. असल में पाकिस्तान के डर की वजहें कुछ और हैं. भारत सरकार साफ कर चुकी है कि कश्मीर तो हमारा अंदरुनी मामला है ही,अब अगर पाकिस्तान से कोई बात होगी तो सिर्फ पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यानी पीओके पर होगी.
पीओके है पाकिस्तान के डर की असली वजह
राजनाथ सिंह ने कहा था, ''पाकिस्तान से यदि बात होगी तो तभी होगी जब आतंकवाद को संरक्षण देने और पैदा करने का जो काम पाकिस्तान अपनी धरती पर कर रहा है, उसे खत्म करे. पाकिस्तान जब तक आतंकवाद को खत्म नहीं करता तब तक बाचतीत करने का कोई कारण नहीं है. आगे भी जो बातचीत होगी और किस मुद्दे पर होगी तो पाक अधिकृत कश्मीर पर बात होगी और किसी मुद्दे पर बात नहीं होगी.'' भारत की इस दो टूक से पाकिस्तान में खलबली मची है. भारत के तेवरों से घबराकर इमरान खान पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस समारोह को इस्लामाबाद में मनाने के बजाय पीओके की तरफ दौड़ पड़े. वहां उन्होंने कह दिया कि भारत पीओके पर हमला कर सकता है.
पाकिस्तान की कोशिश- पीओके पर थानेदारी करे अमेरिका पाकिस्तान के इसी डर के बीच इमरान खान ने ट्रंप से बात की. पाकिस्तान की कोशिश है कि अमेरिका इस मामले में थानेदारी करे, क्योंकि अब पाकिस्तानियों को लग रहा है कि अब भारत से द्विपक्षीय बातचीत का कोई एजेंडा ही नहीं बचा. ट्रंप को भले ही अफगानिस्तान से निकलने के लिए भारत और पाकिस्तान दोनों की जरूरत महसूस हो रही है. लेकिन पीएम मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को साफ बता चुके हैं कि कश्मीर मामले में न किसी तीसरे पक्ष की जरूरत है और न ही किसी समझौते की कोई गुंजाइश है.
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