नई दिल्लीः दिल्ली-एनसीआर में डेयरी फार्म और गोशालाएं खोलने के नियमों में संशोधन किया है जिसमें नियमों को और सख्त बनाया गया है. डेयरी फार्म खोलने वालों को अब जल-वायु प्रदूषण की रोकथाम के उपाय करने के साथ ही पानी की बर्बादी भी रोकनी होगी. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने इस संबंध में अब 51 पेज के संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं. सीपीसीबी ने इससे पहले साल 2020 में पहली बार इसके लिए दिशानिर्देश जारी किए थे और अब सालभर में ही इनमें संशोधन किया गया है. 


नाली में नहीं बहाया जा सकेगा दूषित पानी
सीपीसीबी के नए दिशानिर्देशों के मुताबिक डेयरी फार्म और गोशालाओं का दूषित पानी को नाली में बहाने पर रोक रहेगी और इसको परिशोधित करना होगा. इसके लिए ट्रीटमेंट प्लांट लगाना होगा. इसके अलावा पशुओं के गोबर के भंडारण और उपयोग की सुनिश्चित व्यवस्था भी करनी होगी ताकि वातावरण प्रदूषित नहीं हो. इसके लिए बायोगैस प्लांट, वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने जैसे काम किए जा सकते हैं. इन पर ठोस कचरा प्रबंधन अधिनियम 2016 लागू होगा. ये नियम देशभर में लागू होंगे और डेयरी फार्म, गोशालाओं का लोकल लेवल पर रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा.


इसके साथ ही डेयरी फार्म और गोशालाओं की स्कूल –कॉलेज और रिहायशी इलाकों से दूरी को 200 से 500 मीटर से कम करके 100 मीटर, जलाशयों से दूरी 100 से 500 मीटर की बजाए 200 मीटर की गई है. 


भैंस के लिए 100 लीटर और गाय के लिए 50 लीटर पानी का आवंटन 
डेयरी फार्म और गोशालाओं के लिए पानी के आवंटन की मात्रा को भी कम किया गया है. पहले गाय-भैंस के लिए रोजाना प्रति पशु के नहाने और पीने के लिए 150 लीटर पानी के आवंटन की नियम था. अब पानी की इस मात्रा को कम करके भैंस के लिए 100 लीटर और गाय के लिए 50 लीटर कर दिया गया है.


6 माह में दो ऑडिट अनिवार्य
नए नियमों के पालन के लिए स्थनीय निकायों और राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की भूमिका का भी मजबूत बनाया गया है. अब छ महीने में दो डेयरी फार्म और दो गोशालाओं की ऑडिट करना अनिवार्य किया गया है. इसके साथ ही प्रत्येक डेयरी और गोशाला को लोकल लेवल पर पंजीकृत करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा. 


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