Indian Railways: वेस्टर्न  रेलवे (Western Railway) द्वारा तमाम स्टेशनों पर लगाए गए फेस रिकॉग्निशन कैमरे (Face Recognition Cameras)अपराधियों के लिए काल साबित हो रहे हैं. ये कैमरे पूरी तरह से नए तकनीकों से लैस हैं और पूरी तरह से हाई रिजोल्यूशन (High Resolution) वाले हैं. इन कैमरों को लगाने से रेलवे पुलिस (Railway Police) को अपराधियों को पकड़ने में काफी आसानी हो रही है और वेस्टर्न रेलवे का दावा है कि फेस रिकॉग्निशन कैमरे ( FRS) लग जाने के कारण रेल परिसर में होने वाले अपराधों में अब कमी आई है. वही, दूसरी ओर डिटेक्शन रेट (Detection Rate) भी पहले के मुकाबले तीन गुना अधिक हो गया है.


कैमरे से रेलवे पुलिस को मिल रही मदद


रेलवे स्टेशन पर लगे ये कैमरे रेलवे पुलिस के लिए तीसरी आंख का काम कर रहे हैं. रेलवे परिसर में चोरी, चैन स्नेचिंग जैसे अन्य किसी भी प्रकार के अपराध को अंजाम देने के बाद अगर अपराधी यह सोच रहा है कि वो पुलिस के चंगुल से बच जाएगा तो यह उसकी सबसे बड़ी भूल है. पश्चिम रेलवे ने चर्चगेट से लेकर विरार तक 2,729 हाई रिसोल्यूशन वाले कैमरे लगाए हैं. जिसमे 450 कैमरा फेस रिकॉग्निशन वाले स्पेशल कैमरे हैं. ये सभी कैमरे स्टेशनों के एंट्री-एग्जिट के अलावा सभी मुख्य जगहों पर लगाए हैं.


यात्रियों की सुरक्षा के लिए रेलवे का अभियान


दरअसल रेलवे सुरक्षा बल द्वारा ऑपरेशन 'यात्री सुरक्षा' नाम से अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के जरिए रेलवे पुलिस की यह कोशिश रहती है कि जो लोग रेलवे से यात्रा कर रहे हैं, उनकी सुरक्षा सुनिकश्चित की जाए. इसी के अंतर्गत रेलवे ने सभी स्टेशनों पर हाई रिसोल्यूशन कैमरे लगाए हैं. इन कैमरों की संख्या 2729 है. जिसमे 450 कैमरे काफी स्पेशल हैं. कैमरे की वजह से घोषित अपराधी, जिनकी तस्वीर या हुलिया पहले से प्रसारित किया गया है, उनका पता लगाना आसान हो गया है.


रेलवे पुलिस ने बताया-कैसे काम करते हैं कैमरे


रेलवे पुलिस के सीनियर DSC (Senior Divisional Security Commissioner) विनीत खर्ब ने बताया कि रेलवे परिसर में अपराध को अंजाम देने वाले अपराधियों की जानकारी और फ़ोटो FRS ( फेस रिकॉग्निशन सिस्टम ) में फिट कर देते हैं. जब भी अपराधी पश्चिम रेलवे के सभी स्टेशनों में लगे 450 FRS के किसी भी कैमरे में नजर  आता है तो तुरंत कंट्रोल रूम में अलर्ट मैसेज आ जाता है. फिर कंट्रोल रूम में बैठे ऑपरेटर ग्राउंड पर मौजूद रेलवे पुलिस के स्टाफ को ये सूचना दे देती है और तुरंत एक्शन लेकर उन्हें पकड़ा जाता है.


कैमरे की वजह से अपराध में आई कमी


FRS कैमरे की खास बात यह है कि वो पुराने फ़ोटो को नए हुलिए से मैच करता है. RPF का दावा है कि कैमरे लगने की वजह से रेलवे परिसर में समान चोरी और अन्य तरीके के अपराध भी कम हुए हैं. आरपीएफ अधिकारी विनीत खर्ब ने बताया कि साल 2019 में 11 हजार के आस पास मामले दर्ज किए गए थे. तो वहीं साल 2022 में सितंबर तक 2019 के आंकड़े से तुलना करें तो 3500 हजार से कम मामले सामने आए हैं.


वहीं, डिटेक्शन की बात कर ले तो 2019 में दर्ज 11 हजार केस RPF और जीआरपी सीसीटीवी कैमरे की मदद से 100 केस में ही आरोपियों को पकड़ पाती थी. वहीं 2022 में अब तक 3500 केस में से 350 केस में आरोपियों का डिटेक्शन हुआ है. यह सभी आंकड़े रेलवे पुलिस के हैं, इस सिस्टम की मदद सिटी पुलिस भी ले सकती है.


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