कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बुधवार को नंदीग्राम सीट से नामांकन पत्र दाखिल करेंगी. इससे पहले आज नंदीग्राम में टीएमसी की एक जनसभा को संबोधित करते हुए बताया कि आखिर उन्होंने इस सीट को क्यों चुना.


उन्होंने कहा, ''मैं चाहती तो भोवानीपुर से भी टिकट ले सकती थी. लेकिन जब नंदीग्राम के विधायक ने इस्तीफा दिया था, तब एक रैली से मैंने आप लोगों से जानने की कोशिश की थी कि क्या मैं नंदीग्राम से लड़ सकती हूं ? आप लोगों ने हां कह दिया तो मैंन लड़ने का फैसला लिया.''


टीएमसी अध्यक्ष ने कहा कि सिंगुर और नंदीग्राम आंदोलन की भूमि है. इसलिए ये दोनों सीटों में से किसी एक सीट से मैं लड़ना चाहती थी.


मुख्यमंत्री ममता ने जनसभा के दौरान चंडीपाठ भी किया. उन्होंने कहा कि इंसान में 70-30 (हिंदू-मुस्लिम) कुछ नहीं होता है. विभाजनकारी राजनीति नंदीग्राम में काम नहीं करेगी.


उन्होंने कहा, ''नंदीग्राम का नाम पूरी दुनिया को पता है. नंदीग्राम ही सद्भावना का दूसरा नाम है. मैं सभी का नाम भूल सकती हूं, लेकिन नंदीग्राम का नाम नहीं. सिंगुर , नंदीग्राम नहीं होता तो आंदोलन का तूफान नहीं आता. मैं भी हिन्दू घर की लड़की हूं. मेरे साथ हिन्दू कार्ड मत खेलो.''


सीएम ममता ने कहा कि बंगाल की बेटी कैसे बाहरी हो गई? मैं यहां हर तीन महीने में आऊंगी. 1 अप्रैल को यहां वोटिंग होगी. उनका (बीजेपी) अप्रैल फुल कर दीजिएगा. एक अप्रैल को खेल होबे. मैं मंदिर , मस्जिद , गुरुद्वारा ... सभी का समर्थन चाहतीं हूं.


बता दें कि भूमि अधिग्रहण के विरोध में नंदीग्राम में हुए आंदोलन से ही 2011 में बनर्जी सत्ता में आई थीं. इस बार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में उनका मुकाबला अपने ही विश्वस्त सहयोगी रहे शुभेंदु अधिकारी से होगा ,जो अब बीजेपी में शामिल हो गए हैं.


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