पश्चिम बंगाल की सियासत एक बार फिर गर्म होने जा रही है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर पूरे राज्य में एक नया जनसंपर्क अभियान शुरू करने की घोषणा की है. पार्टी के मुताबिक, यह सिर्फ एक राजनीतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि उन शरणार्थियों के लिए नागरिकता का अधिकार अभियान है, जो वर्षों से पहचान का इंतजार कर रहे हैं.

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राज्य बीजेपी अध्यक्ष समीक भट्टाचार्य ने बताया कि संगठन ने एक हजार से अधिक नागरिकता आवेदन शिविर लगाने की तैयारी शुरू कर दी है. ये शिविर विशेष रूप से बांग्लादेश की सीमा से सटे जिलों उत्तर 24 परगना, नदिया, कूचबिहार और उत्तर दिनाजपुर में लगाए जाएंगे. इन इलाकों में बड़ी संख्या में मतुआ और हिंदू शरणार्थी समुदाय रहते हैं, जिन्हें पार्टी सीएए के तहत आवेदन कराने में सहायता देना चाहती है. भट्टाचार्य के अनुसार, “सीएए बीजेपी के वादों की आत्मा है. महामारी की वजह से देरी हुई थी, लेकिन अब हम पूरी तैयारी के साथ जनता के बीच जा रहे हैं.”

कार्यकर्ताओं को दी जा रही है नागरिकता प्रक्रिया की ट्रेनिंग

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कोलकाता में पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बी.एल. संतोष की मौजूदगी में हाल ही में एक विशेष कार्यशाला आयोजित की गई, जहां ज़िला और मंडल स्तर के नेताओं को नागरिकता आवेदन प्रक्रिया समझाई गई. प्रशिक्षित कार्यकर्ता अब गांव-गांव जाकर लोगों को फॉर्म भरने, दस्तावेज़ तैयार करने और ऑनलाइन आवेदन में मदद करेंगे.

मतुआ समुदाय पर फोकस

राज्य में बीजेपी की रणनीति मतुआ और अन्य हिंदू शरणार्थी समूहों के इर्द-गिर्द घूमती दिख रही है. मतुआ समुदाय, जो बांग्लादेश से पलायन कर आया था, लंबे समय से नागरिकता की मांग कर रहा है. पार्टी के शरणार्थी प्रकोष्ठ संयोजक असीम सरकार के ने कहा कि हम 2000 से 31 दिसंबर 2024 के बीच आए सभी हिंदू शरणार्थियों को आवेदन के लिए प्रोत्साहित करेंगे. मुख्यमंत्री ने उन्हें गुमराह किया है, जबकि सीएए उनका संवैधानिक अधिकार सुनिश्चित करता है.

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