पश्चिम बंगाल विधानसभा में गुरुवार (4 सितंबर 2025) को सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायकों के बीच तीखी नोकझोंक के बाद जबर्दस्त हंगामा हुआ. मामला धक्का-मुक्की और हाथापाई तक पहुंच गया. दोनों दलों के विधायकों ने नारेबाजी की और बंगाली प्रवासियों के खिलाफ कथित अत्याचारों के संबंध में एक सरकारी प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सदन की कार्यवाही बाधित की. इसके बाद बीजेपी के पांच विधायकों को निलंबित कर दिया गया.

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ममता बनर्जी के बोलने से पहले ही शुरू हुआ हंगामा

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी प्रस्ताव पर बोलने ही वाली थीं कि हंगामा शुरू हो गया. बीजेपी विधायकों ने दो सितंबर को विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के निलंबन पर सवाल उठाते हुए नारे लगाए जिस पर सत्ता पक्ष की ओर से तीखी प्रतिक्रिया हुई. इससे टकराव बढ़ गया, क्योंकि तृणमूल कांग्रेस के विधायकों ने नारेबाजी का विरोध किया, जिससे विधानसभा की कार्यवाही में कई बार व्यवधान उत्पन्न हुआ.

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शंकर घोष को विधानसभा से बाहर निकाला गया

हंगामा जारी रहने पर विधानसभा के अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने अव्यवस्था फैलाने के आरोप में बीजेपी के चीफ व्हिप शंकर घोष को बचे दिन के लिए विधानसभा की कार्यवाही से निलंबित कर दिया. शंकर घोष के सदन से जाने से इनकार करने पर विधानसभा के मार्शलों को बुलाया गया और उन्हें सदन से घसीटकर बाहर निकाला गया, जिसका विपक्षी सदस्यों ने कड़ा विरोध किया.

बाद में हंगामा बढ़ने पर बीजेपी विधायक अग्निमित्रा पॉल, मिहिर गोस्वामी, बंकिम घोष और अशोक डिंडा को निलंबित कर दिया गया. सदन में दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस होने से माहौल गरमा गया. दोनों समूहों के बीच किसी भी तरह की हाथापाई को रोकने के लिए मार्शल मौजूद रहे. सीएम ममता बनर्जी ने सवाल किया, ‘‘बीजेपी मुझे सदन में बोलने क्यों नहीं दे रही है?’’

टीएमसी और बीजेपी विधायकों के बीच आए मार्शल

एक समय तो तृणमूल कांग्रेस के कई विधायक बीजेपी की बेंचों की ओर बढ़ते देखे गए, जिसके बाद मार्शल ने तुरंत हस्तक्षेप किया. हंगामे के बावजूद अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने सदन की कार्यवाही स्थगित नहीं की और निर्धारित कार्यवाही जारी रखने पर अडिग रहे. बीजेपी विधायकों ने यह भी आरोप लगाया कि हंगामे के दौरान सत्ता पक्ष की ओर से उन पर पानी की बोतलें फेंकी गईं.

मुख्यमंत्री ने बीजेपी विधायकों पर बंगाली प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा पर गंभीर चर्चा को जानबूझकर विफल करने का आरोप लगाया. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘बीजेपी नहीं चाहती कि सच्चाई सामने आए. असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए वे सदन की कार्यवाही बाधित कर रहे हैं.’’ मुख्यमंत्री का भाषण समाप्त होने के बाद बीजेपी विधायक दल ने विधानसभा से बहिर्गमन किया. प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया और बीजेपी सदस्य मतदान से पहले ही सदन से बाहर चले गए.

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