Waqf Amendment Bill 2025: लोकसभा में आज बुधवार (02 अप्रैल, 2025) को वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया गया. केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे पेश किया. इस दौरान विपक्ष की ओर से बोलते हुए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि मुझे अंग्रेजी भी समझ नहीं आ रहा और हिंदी में समझ नहीं आ रहा.

सपा सांसद ने कहा, “अध्यक्ष महोदय आज जो बिल पेश हुआ है, उसको लेकर हिंदी और अंग्रेजी को जितना समझ सकता हूं उस पर इतना ही कह सकता हूं कि माननीय मंत्री जी ने कहा कि ये एक उम्मीद है. ये उम्मीद कैसे बना अंग्रेजी में भी समझ नहीं आया कि उम्मीद है ये और हिंदी में भी समझ नहीं आ रहा है कि ये उम्मीद है.”

अखिलेश यादव किस चीज का कर रहे थे जिक्र?

दरअसल सरकार ने वक्फ (संशोधन) विधेयक को UMEED (Unified Management Empowerment Efficiency and Development) के नाम से जाना जाएगा. अखिलेश यादव इसी उम्मीद का जिक्र कर रहे थे. उम्मीद अधिनियम वक्फ संपत्तियों के प्रशासन को बेहतर बनाने, बेहतर निगरानी और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए उपाय पेश करता है. इसमें महिलाओं के अधिकारों पर जोर दिया गया है, जिसमें वक्फ बोर्डों में मुस्लिम महिलाओं का प्रतिनिधित्व शामिल करने का प्रावधान है.

वक्फ पर सियासी माहौल गर्म

वक्फ संशोधन बिल को लेकर सियासी माहौल गर्म है. जहां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इसे गरीबों के हक और पारदर्शिता की दिशा में उठाया कदम बता रही हैं, तो वहीं विपक्ष और कुछ मुस्लिम संगठन इसे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ साजिश करार दे रहे हैं.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी ने बिल का कड़ा विरोध किया. उन्होंने कहा, यह बिल पूरी तरह धार्मिक मामला है. इसमें जो संशोधन प्रस्तावित हैं, वे मुस्लिम हितों के खिलाफ हैं. उन्होंने सांसदों से अपील की कि वे मुस्लिम समुदाय की भावनाओं का ध्यान रखें. इससे मुस्लिमों में चिंता बढ़ गई है. 90 फीसदी वक्फ संपत्तियां मस्जिदों, दरगाहों और कब्रिस्तानों की हैं. इनकी हिफाजत हमारी जिम्मेदारी है.

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