वक्फ संशोधन कानून पर जल्द सुनवाई की मांग सुप्रीम कोर्ट में रखी गई है. वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ताओं की तरफ से मामला चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के सामने रखा. हालांकि, चीफ जस्टिस ने उन्हें रोकते हुए कहा कि इस तरह के अनुरोध पर विचार की अलग प्रक्रिया है. वह चैंबर में याचिकाओं को देखेंगे और उन्हें सुनवाई के लिए लगाने पर विचार करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन एक्ट के खिलाफ अब तक यह 6 याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं :-
1. कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद
2. AMIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी
3. AAP विधायक अमानतुल्लाह खान
4. एसोसिएशन फ़ॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स
5. समस्त केरल जमीयतुल उलमा
6. मौलाना अरशद मदनी
अभी और भी कई याचिकाएं इस मसले पर दाखिल होने की उम्मीद है. अब तक दाखिल सभी याचिकाओं में मुख्य रूप से यही कहा गया है कि यह मुसलमानों के साथ भेदभाव करने वाला कानून है. वक्फ एक धार्मिक संस्था है. उसके कामकाज में सरकारी दखल गलत है.
याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि नया वक्फ कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 15 (समानता), 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) 26 (धार्मिक मामलों की व्यवस्था) और 29 (अल्पसंख्यक अधिकार) जैसे मौलिक अधिकारों के विरुद्ध है. याचिकाकर्ताओं ने कानून में बदलाव को अनुच्छेद 300A यानी संपत्ति के अधिकार के भी खिलाफ बताया है.
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल के अलावा अभिषेक मनु सिंघवी भी सुनवाई का अनुरोध लेकर चीफ जस्टिस के सामने पहुंचे. सिब्बल ने बताया कि मामले पर कई याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं. चीफ जस्टिस ने उन्हें रोकते हुए कहा, 'जल्द सुनवाई के अनुरोध को लेकर व्यवस्था बनी हुई है. आपको यहां इसे रखने की कोई जरूरत नहीं थी. मैं दोपहर को इन अनुरोधों को देख कर सुनवाई पर फैसला लूंगा.'
ध्यान रहे कि सभी याचिकाओं में कोर्ट से कानून को संविधान के खिलाफ बताते हुए दखल की मांग की गई है. याचिकाकर्ताओं ने कानून के अमल पर रोक की भी मांग की है. हालांकि, आमतौर पर यह देखा गया है कि सुप्रीम कोर्ट संसद से पारित कानून पर एकतरफा रोक नहीं लगाता. अगर कोर्ट इन याचिकाओं को विचार के योग्य समझेगा, तो सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांग सकता है.