Visva Bharati Vs Amartya Sen: नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन और विश्व भारती विश्वविद्यालय के बीच भूमि विवाद एक बार फिर से तूल पकड़ता नजर आ रहा है. विश्व भारती विश्वविद्यालय ने अमर्त्य सेन को एक बार फिर से नोटिस भेजा है. विश्व भारती विश्वविद्यालय ने अमर्त्य सेन को घर खाली करने को कहा है. नोटिस में अमर्त्य सेन से पूछा गया, "13 डिसमिल के उस भूखंड से आपको क्यों बेदखल नहीं करना चाहिए, जिस पर उनका कथित रूप से अवैध कब्जा है."


विश्वविद्यालय ने नोटिस का जवाब देने के लिए अमर्त्य सेन को 24 मार्च तक दिया है. इसके अलावा 29 मार्च तक केंद्रीय विश्वविद्यालय के संयुक्त रजिस्ट्रार अशोक महतो के सामने व्यक्तिगत रूप से या एक प्रतिनिधि के माध्यम से सबूत पेश करने को कहा है. अमर्त्य सेन से अपने उस दावे के समर्थन में सबूत भी पेश करने के लिए कहा गया है कि उनका भूखंड पर अवैध कब्जा नहीं है.


जमीन को लेकर अमर्त्य सेन का दावा


नोटिस में कहा गया है, "यदि आप और आपके अधिकृत प्रतिनिधि उक्त तिथि पर उपस्थित होने में विफल रहते हैं, तो मामले का एकतरफा फैसला किया जा सकता है." विश्वविद्यालय का दावा है कि सेन के पास शांति निकेतन परिसर में 1.38 एकड़ जमीन है, जो उनके 1.25 एकड़ के कानूनी अधिकार से अधिक है. वहीं सेन ने दावा किया था कि शांति निकेतन परिसर में उनके पास जो जमीन है, उनमें से अधिकांश को उनके पिता ने बाजार से खरीदा था जबकि कुछ अन्य भूखंड पट्टे पर लिए गए थे.


सीएम ममता ने सौंपे थे कागजात


बता दें कि विश्व भारती विश्वविद्यालय की ओर से भेजे गए नोटिस को अमर्त्य सेन रिसीव नहीं कर पाए हैं, क्योंकि वह विदेश में रह रहे हैं. वहीं इस पर प्रतिक्रिया के लिए उनके परिवार के सदस्यों से संपर्क नहीं हो सका है. वहीं इससे पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अमर्त्य से शांति निकेतन में मुलाकात की थी. मुख्यमंत्री ने भूमि मूल्यांकन से संबंधित दस्तावेज भी उन्हें सौंपे थे. इसके लिए सीएम ममता खुद BLRO दफ्तर गईं थीं. इसके बाद उन्होंने कहा था, "लोगों का इस तरह अपमान नहीं किया जा सकता." उन्होंने कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी थी.


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