नई दिल्ली: नोटबंदी के इस माहौल में आपके मोबाइल तक दो चीजें पहुंच रही है पहली चीज जहां आपको ये बताया जा रहा है कि आप कैशलेस कैसे हो सकते हैं और दूसरा वो मैसेज जो व्हाट्सएप पर घूम रहा है.
ये मैसेज कैशलेस व्यवस्था पर बहुत बड़ा आरोप लगा रहा है. दावा है कि इसमें डेढ़ लाख करोड़ का घोटाला होने जा रहा है? एबीपी न्यूज़ ने दावे की पड़ताल की और इसका सच पता लायाग.
डेढ़ लाख करोड़ बहुत बड़ी रकम है. इसमें डेढ़ लाख के आगे सात जीरो हैं और कुल मिलाकर एक दो तीन चार पांच छह सात आठ नौ दस ग्यारह पूरे 11 जीरो हैं. अब आपके कैशलेस से होने वाले कथित घोटाले के दावे का अंदाजा आपको बेहतर हो गया होगा.
व्हाट्सएप पर एक मैसेज घूम रहा है जो कैशलेस व्यवस्था पर ना सिर्फ सवाल उठा रहा है बल्कि डेढ़ लाख करोड़ के घोटाले का आरोप भी लगा रहा है. दावा है कि पेटीएम, जियो मनी और फ्री रिचार्ज जैसी कंपनियों से आप जो भुगतान कर रहे हैं उसके जरिए एक घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है. मैसेज में इस घोटाले के पीछे कौन सा तरीका काम कर रहा है वो भी बताया जा रहा है
मैसेज में लिखा है, ''अगर 1 नंबर में यानि व्हाइट मनी में हुए 75 लाख करोड़ के आर्थिक व्यवहार को कैशलेस कर देंगे तो क्या होगा? Paytm, Freecharge, Jio Money और इन जैसी दूसरी E-wallets कंपनियों की चांदी हो जायेगी. 75 लाख करोड़ के कैशलैस आर्थिक व्यवहार पर अगर ये निजी कंपनियां औसतन 2 फीसदी कमीशन भी लेती हैं तो सीधे-सीधे हर साल डेढ़ लाख करोड़ रुपये इन कंपनियों को मिलेगा. बिना कुछ किये धरे. पैसा जनता का, माल व्यापारी का और ये कंपनियां मुफ्त में माल उड़ाएंगी.''
इतना ही नहीं मैसेज में ये भी बता दिया गया है कि सरकार इस घोटाले को छिपाने के लिए क्या सफाई देगी.
मैसेज में लिखा है, ''सरकार कहेगी मत यूज करो E-WALLET हम आपको फ्री में UPI app उपलब्ध करा रहे हैं. ये सरकारी है. एकदम फ्री है. इसके जरिये भुगतान करो. अच्छी बात है. लेकिन जरा सोचिए पिछले कई सालों से काम कर रहे रेलवे रिजर्वेशन के सरकारी सर्वर की क्या स्पीड है? इसी स्पीड में UPI का सर्वर भी चलेगा या फिर Paytm/Freecharge/ Jio Money और इन जैसी दूसरी E-wallets कंपनियां इसकी स्पीड बढ़ने नहीं देंगी. जब UPI से स्पीड में पेमेंट नहीं होगा तो लोग वापस Paytm/Freecharge/ Jio Money और इन जैसी दूसरी E-wallets कंपनियों की तरफ ही आएंगे.''
मैसेज के मुताबिक डेढ़ लाख करोड़ रुपये सालाना का ये एक खुल्लमखुल्ला घोटाला है. सरकार, Paytm/Freecharge/ Jio Money और इन जैसी दूसरी E-wallets कॉर्पोरेट कंपनियों और बैंकों की इसमें मिली भगत है. ये दावा बेहद चौंकाने वाला है. मैसेज पढ़ने वाले सोच रहे हैं कि क्या नोटबंदी में मुश्किलों से बचने का जो आसान रास्ता सुझाया जा रहा है उसमें वाकई कोई घोटाला हो रहा है? विपक्ष भी नोटबंदी में बार-बार सरकार पर घोटाले का आरोप लगा रहा है इसलिए ऐसे दावों को और भी हवा मिल रही है. ये मुद्दा पूरे देश से जुड़ा है इसलिए इसका सच सामने आना बेहद जरूरी है.
एबीपी न्यूज ने इस वायरल मैसेज की पड़ताल की. हमारी पड़ताल में जो सबसे बड़ी बात सामने आई वो ये कि पूरा का पूरा नकद लेन-देन डिजिटल हो जाएगा, ये कहना गलत है. क्यों आप वो भी समझिए
एटीएम से पैसा निकालना कैशलेस की गिनती में नहीं आता. दूसरी बात क्रेडिट या डेबिट कार्ड से भुगतान करने पर कुछ जगहों पर सर्विस चार्ज लगता है सब जगहों पर नहीं और मोबाइल बटुए से लेन-देन करने के लिए आम ग्राहकों को सर्विस चार्ज चुकाना नहीं होता. सिर्फ व्यापारी जब इन पैसों को अपने बैंक खाते में जमा करते हैं तभी सर्विस चार्ज देना होता है.
जहां तक इंटरनेट स्पीड को लेकर सवाल उठ रहे हैं तो इसका खामियाजा सरकारी ही नहीं निजी सेवा कंपनियों को भी झेलना पड़ रहा है. महानगरों में कई जगहों पर कई मौंकों पर कार्ड मशीन का नहीं चलना आम है. इसीलिए ये कहना सही नहीं है कि इंटरनेट की धीमी गति या सेवा में व्यवधान का असर सिर्फ यूपीआई या सरकारी डिजिटल पेमेंट सिस्टम पर ही पड़ेगा.
दरअसल इस पूरे घोटाले को साबित करने के लिए 75 लाख करोड़ का एक आंकड़ा पेश किया जा रहा है. इसके जरिए दो दावे किए जा रहे हैं.
पहला दावा है कि आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक हर महीने 2.25 लाख करोड़ और हर साल करीब 25 से 30 लाख करोड़ रुपए पूरे देश में एटीएम मशीनों से निकाले जाते हैं. अगर बैंकों से होने वाले विड्रॉल को भी इसमें जोड़ दिया जाए तो एटीएम और बैंक से निकलने वाली ये रकम 75 लाख करोड़ होती है. इस राशि का सारा लेन-देन बैंक से होता है इसलिए ये सारा पैसा एक नंबर का सफेद धन होता है.
अब इस दावे की सच्चाई जान लीजिए.
- अक्टूबर महीने के आंकड़ों के मुताबिक देश में 2 लाख 19 हजार एटीएम हैं
- डेबिट और क्रेडिट कार्ड के जरिए अक्टूबर में एटीएम से 2 लाख 64 हजार करोड़ रुपए निकाले गए
- 2015-16 में पूरे साल के दौरान 25 लाख करोड़ रुपए एटीएम से निकाले गए
- बैंक से कितने पैसे निकाले गए इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है.
दरअसल इसी 75 लाख करोड़ रुपए पर 2 फीसदी कमीशन की बात कहकर डेढ़ लाख करोड़ के घोटाले का दावा किया जा रहा है. दूसरा दावा ये है कि क्रेडिट कार्ड कंपनियां और बैंक क्रेडिट कार्ड से होने वाले ट्रांजैक्शन पर 1.5 फीसदी से लेकर ढाई फीसदी तक दलाली लेते हैं और ये दलाली दुकानदार यानि भुगतान लेने वाले से वसूली जाती है.
इस दावे का सच ये है कि डेबिट कार्ड की ही तरह क्रेडिट कार्ड पर भी सर्विस चार्ज वसूला जाता है. कार्ड कंपनियां इसे दुकानदार से वसूलती हैं. इसे दलाली कहना गलत है. डेबिट कार्ड की तरह इसमें कोई सीमा नहीं है.
सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात ये है कि जिस एटीएम से निकलने वाले पैसों को गिनती कैशलेस में की जा रही है जबकि एटीएम से पैसा निकालना कैशलेस मे नहीं आता.
ये मैसेज इसमें पेश किए गए आंकड़े और डेढ़ लाख करोड़ का घोटाला ये सब किसी की कोरी कल्पना है जिसे आधारहीन तर्कों और तथ्यों के सहारे देश के सामने परोसा जा रहा है. एबीपी न्यूज की पड़ताल में कैशलेस के नाम पर डेढ़ लाख करोड़ का घोटाला वाला मैसेज झूठा साबित हुआ है.