नई दिल्लीः सोशल मीडिया पर वायरल एक तस्वीर के जरिए एक सीआरपीएफ जवान की दर्दनाक कहानी सुनाई जा रही है. दावा है नक्सली हमले में 7 गोलियां खाने वाला ये सीआरपीएफ जवान पिछले 4 चार सालों से अपनी आंत एक पॉलीथीन में बांधकर घूम रहा है. दावा है ये सीआरपीएफ जवान मनोज तोमर हैं जो पिछले 4 साल से शरीर के अंदर रहने वाली आंतों को शरीर के बाहर लटकाकर घूमने के लिए मजबूर हैं

सोशल मीडिया पर वायरल एक तस्वीर में जवान अपनी शर्ट उठाकर अपने पेट के गहरे निशान और पॉलिथीन में रखी आंत को दिखा रहा है. दावा है पीले रंग की पॉलिथीन में जवान की आंत है. जो नक्सली मुठभेड़ में 7 गोलियां लगने के बाद शरीर से बाहर निकल गई थीं और तब से जवान ये आंत ऐसे ही पॉलिथीन में लेकर रहता है. अखबार में छपी खबर की शक्ल में जब इस जवान की तस्वीर वायरल हुई तो लोग सेना के जवान की ऐसी दुर्दशा के पीछे सरकार के रवैये को कोसने लगे

क्या सच में सेना की अनदेखी और सरकार की लापरवाही की वजह से सीआरपीएफ जवान की ये हालत हुई? इस वायरल तस्वीर के पीछे की कहानी जानने के लिए एबीपी न्यूज ने वायरल तस्वीर की तहकीकात शुरू की. एबीपी न्यूज इस जवान के बारे में पता लगाने की कोशिश कर रहा था इसी बीच सीआरपीएफ ने इस मामले पर सफाई देते हुए अपना बयान भी जारी किया.

वायरल तस्वीर पर सीआरपीएफ ने अपने बयान में कहा

ये जवान छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में तैनात था. तभी 11 मार्च 2014 को नक्सलियों और सीआरपीएफ के बीच एनकाउंटर हुआ जिसमें मनोज तोमर को पेट में कई गोलियां लगी थीं. मनोज तोमर को सुकमा से हेलिकॉप्टर के जरिए इलाज के लिए रायपुर लाया गया और वहां उनकी सर्जरी भी हुई जिसके बाद उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया.

जवान की आंतें खराब हो जाने की वजह से उसे कोलोस्टॉमी बैग लेकर चलना होता है जिसमें वो आंत के मल को बाहर निकालता है. सीआरपीएफ अस्पताल में रोज ये बैग बदला जाता है. इस बैग की कीमत एक हजार रुपए है. जवान के इलाज का पूरा खर्च सीआरपीएफ उठा रही है. इसके अलावा भी जवान को करीब 20 लाख दिए गए हैं. उनके इलाज के लिए एम्स से भी संपर्क कर रहे हैं. उनको हर तरह की मदद पहुंचाई जा रही है और साथ ही उनको हर महीने सैलरी भी दी जाती है.

खबर वायरल होने के बाद सीआरपीएफ की तरफ से जारी इस बयान में बताया गया कि सेना और सरकार जवान की हर मदद कर रही है. लेकिन क्या ये सारी मदद सही तरीके से जवान तक पहुंच पाई है? ये जानने के लिए जरूरी था उस जवान तक पहुंचना. पता चला कि ये जवान मध्यप्रदेश के मुरैना जिले का रहने वाला है. एबीपी न्यूज टीम सीधे जवान के घर पहुंची.

मनोज तोमर वो सीआरपीएफ जवान जिनकी तस्वीर वायरल हो रही है. मनोज तोमर ने हमें अपने शरीर पर लगी उन गोलियों के निशान और जख्मों को दिखाया जिसकी वजह से उनकी ये हालत हो गई. 16 साल से सेना से जुड़े मनोज तोमर से जब हमने उनकी आंतों के बारे में जानना चाहा तो उन्होंने अपनी शर्ट हटाकर उस थैली को बाहर कर दिया जिसमें उनकी आंते रखी हैं.

सरकार को जितनी मदद करनी चाहिए उतनी हो नहीं रही मनोज तोमर से जब पूछा गया कि सरकार और सेना की तरफ से उनको जो मदद मिलनी चाहिए वो उन्हें मिल रही है या नहीं, तो उन्होंने बताया कि 'सरकार इलाज करवा रही है लेकिन जो करना चाहिए वो नहीं कर रही. शहीदों और मेरे में क्या फर्क है, मैं भी अब मरे के समान ही हूं. सरकार मेरे साथ ज्यादती कर रही है, सिर्फ सांत्वना देकर चली गई. उस समय इलाज करवा दिया लेकिन आज हम एम्स के चक्कर काट रहे हैं. इलाज के लिए मंत्री के बंगले के चक्कर काट रहे हैं. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर से मिला, गृहमंत्री राजनाथ सिंह से भी मिला, लेकिन इन लोगों से कोई मदद नहीं मिली. सरकार से अब किसी तरह की उम्मीद नहीं रही'

4 साल से भटक रहे हैं मनोज तोमर मनोज तोमर पिछले 4 साल इसी तरीके से अपनी जिंदगी काट रहे हैं, अपने इलाज के लिए वो गृहमंत्री राजनाथ सिंह से लेकर पीएमओ का दरवाजा तक खटखटा चुके हैं. उनकी एक आंख खराब हो चुकी है, एम्स में इसका इलाज करवाने को कहा था. एम्स में तारीख नहीं मिल रही है लेकिन किसी ने कोई मदद नहीं की. वो प्रधानमंत्री की सेवा में 2004 से 2012 तक एसपीजी में तैनात थे. उन्होंने पीएमओ में फैक्स किया, मोदी जी से गुहार लगाई. लेकिन उसका भी कोई जवाब नहीं आया.

वायरल सच सीआरपीएफ का कहना है कि वो जवान की पूरी मदद कर रही है लेकिन सवाल है कि अगर सरकार सच में मदद कर रही है तो 4 साल बाद भी जवान अपनी आंते शरीर के बाहर लेकर घूमने को और आंखों के इलाज के लिए दर-दर भटकने को मजबूर क्यों है? सीआरपीएफ का कहना है कि मदद हो रही है और जवान की शिकायत है कि जैसी मदद होनी चाहिए थी वैसी नहीं हुई. इसलिए हमारी पड़ताल में सीआरपीएफ जवान का पॉलिथीन में आंत लेकर घूमने का दावा सच साबित हुआ है.