देहरादून: उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र रावत अपनी पत्नी सुनीता की वजह से विवादों में घिर गए हैं. विवाद इस बात को लेकर हो रहा है कि साल 2008 में हुए उनकी पत्नी के प्रमोशन के बाद से अब तक उनका किसी दूसरी जगह ट्रांसफर नहीं हुआ है.

एक राइट टू इंफॉर्मेशन (आरटीआई) में खुसाला हुआ है कि सुनिता रावत ने पौढी गढवाल के एक स्कूल में साल 1992 में पढ़ाना शुरू किया था. साल 1996 में उनका ट्रांसफर देहरादून में कर दिया गया जिसके बाद से उनका कोई ट्रांसफर नहीं हुआ है. साल 2008 में उन्हें प्रमोशन तक दिया गया लेकिन बावजूद इसके उनका कोई ट्रांसफर नहीं हुआ.

आपको बता दें कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रावत की जनता दरबार में पहुंची एक विधवा टीचर जब अपनी समस्या सीएम को बताई तो वो भड़क उठे और सीधा निलंबन (सस्पेंड) और गिरफ्तारी का आदेश सुना दिया. रावत को महिला टीचर की शब्दों से आपत्ति थी. ये घटना शुक्रवार की है.

महिला ने की थी न्याय की मांग अपनी शिकायत में महिला मुख्यमंत्री से ट्रांसफर नहीं किये जाने की अपील करते हुए कहती हैं, ''मैं 25 साल से काम कर रही हूं. मेरे पति की मौत हो गई है. मेरे बच्चों को कोई देखने वाला नहीं है. मैं अपने बच्चों को अकेला नहीं छोड़ सकती हूं. मैं नौकरी भी नहीं छोड़ सकती हूं. आपको मेरे साथ न्याय करना पड़ेगा.''

टीचर की इस दलील पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने कहा कि जब नौकरी शुरू की थी तो आपने क्या लिख कर दिया था? जिसपर टीचर कहती हैं कि मैंने यह भी लिखकर नहीं दिया था की मैं बनवास भोगूंगी. आपका ही नारा है बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ. ये नहीं की बनवास भेजना है.

इसी जवाब पर सीएम भड़क उठे और कहा कि अध्यापिका हो, नौकरी करती हो. ठीक से बोलो. जरा सभ्यता सीखो यार. महिला बोलती रही जिसपर गुस्साए मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी सस्पेंड कर दूंगा आपको. अभी सस्पेंड हो जाएगी. जिसपर महिला ने कहा कि आप क्या सस्पेंड करेंगे मैं खुद घर बैठी हूं.

मुख्यमंत्री को गुस्सा देख तुरंत वहां तैनात सुरक्षाकर्मी पहुंचे और महिला को हिरासत में ले लिया. महिला कार्रवाई न करने की अपील करती रही लेकिन उनकी एक न सुनी गई. आग-बबुला मुख्यमंत्री ने सुरक्षाकर्मियों को सख्त लहजे में कहा कि महिला को यहां से ले जाओ बाहर. इसे कस्टडी में लो. जिसके बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. जिसपर महिला टीचर ने कहा कि चोर उचक्के कहीं के.

सीएम पर उठते हैं कई सावल सीएम के ऐसे फैसले के बाद उनकी पत्नी के बारे में ऐसी जानकारी सामने आना आश्चर्यजनक है और सवाल ये भी उठते हैं कि इतने बड़े पद पर बैठे व्यक्ति की खुद की पत्नी जब इतने लंबे समय से एक जगह पर बनी हुई हैं तो क्या सवेंदनशीलता दिखाते हुए रावत एक विधवा कि गुहार नहीं सुन सकते थे? अगर नहीं भी सुन सकते थे तो टीचर को सस्पेंड और गिरफ्तार करवाने का आदेश देना किस हद तक जायज़ है.

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