Tunnel Rescue: उत्तरकाशी टनल हादसे में 17वें दिन बड़ी सफलता मिली है. अब महज कुछ ही देर में सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूर बाहर आ जाएंगे. ऐसे में टनल के बाहर मज़दूरों के रिश्तेदार, परिवार के लोग और परिजन उनके निकलने का इंतज़ार कर रहे हैं. इसके साथ ही पूरा देश उनकी सलामती की दुआएं कर रहा है. 


समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार,मज़दूरों को बाहर निकाले जाने के बाद इसी जगह पर उनकी शुरुआती मेडिकल देखभाल की जाएगी. इसके लिए वहां डॉक्टरों और विशेषज्ञों की टीम तैनात है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाये हुए हैं. वे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से कॉल पर पल पल का अपडेट ले रहे हैं. पीएमओ के कई अधिकारी भी टनल के बाहर मौजूद है. 


बता दें कि एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, भारतीय सेना और अन्य राज्य और केंद्रीय एजेंसियों को साइट पर तैनात किया गया है, जिनमें से कुछ लोग फंसे हुए 41 श्रमिकों के बचाव अभियान में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं. हालांकि हम उन महत्वपूर्ण नामों के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने इस सफल रेस्क्यू ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाई है. आइए, उनके बारे में जानते हैं.


आईएएस अधिकारी नीरज खैरवाल


आईएएस अधिकारी नीरज खैरवाल को सिल्कयारा सुरंग ढहने की घटना का नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया था और वह पिछले 10 दिनों से बचाव कार्यों की देखरेख और कमान संभाल रहे हैं. खैरवाल घंटे-घंटे पर रेस्क्यू स्थल से सीएमओ और पीएमओ को अपडेट दे रहे हैं. वह उत्तराखंड सरकार में सचिव भी हैं.


माइक्रो-टनलिंग विशेषज्ञ क्रिस कूपर


क्रिस कूपर दशकों से एक माइक्रो-टनलिंग विशेषज्ञ के तौर पर काम कर रहे हैं. इन्हें ख़ास तौर पर इस रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए बुलाया गया है. ये 18 नवंबर को मौके पर पहुंचे थे. ऐसे में इनका अनुभव बेहह ही कारगर साबित हुआ है. कूपर ने ही कार्य को तेजी से पूरा कराए जाने पर जोर दिया. वह ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना के अंतरराष्ट्रीय सलाहकार भी हैं.


लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (सेवानिवृत्त), सदस्य, एनडीआरएफ


भारतीय सेना के सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल और एनडीआरएफ टीम के सदस्य सैयद अता हसनैन उत्तराखंड सुरंग दुर्घटना में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की भूमिका की देखरेख कर रहे हैं. लेफ्टिनेंट जनरल हसनैन पूर्व में श्रीनगर में तैनात भारतीय सेना की जीओसी 15 कोर के सदस्य थे. इस रेस्क्यू अभियान में इनकी भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण रही है. 


सुरंग निर्माण विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स


वैज्ञानिक शोधकर्ता और भूमिगत सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स भी उत्तरकाशी सुरंग हादसे में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने में महत्वपूर्व किरदार निभा रहे हैं. डिक्स 20 नवंबर को सुरंग स्थल पर पहुंचे थे.  उन्होंने पिछले 7 दिनों में सभी को पॉजीटिव रहने की सलाह दी. डिक्स भूमिगत निर्माण से जुड़े जोखिमों पर सलाह देते हैं. साथ ही ये सुरंग बनाने में दुनिया के अग्रणी विशेषज्ञों में से वो एक हैं.


रैट होल खनन विशेषज्ञों की टीम


माइक्रो-टनलिंग, मैन्युअल ड्रिलिंग और फंसे हुए श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए मध्य प्रदेश से छह रैट होल खनन विशेषज्ञों को बुलाया गया है. इन लोगों ने मजदूरों के निकालने के लिए बिछाई गई संकीर्ण 800 मिमी पाइप की निगरानी की है. राज्य और केंद्रीय एजेंसियों के साथ-साथ स्थानीय ड्रिलिंग विशेषज्ञ, पर्यावरण विशेषज्ञ, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के सदस्यों के साथ-साथ भारतीय सेना को भी यहां तैनात किया गया है. 


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