UP Elections 2022: उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में अब दो महीने से भी कम का वक्त बचा है. जनता को लुभाने के लिए हर दल अपनी-अपनी तरह से प्रचार में जुटा हुआ है. यूपी का चुनाव धर्म और जातियों के इर्द-गिर्द घूमता है. जिसके पक्ष में जितने समुदाय, उसको सत्ता मिलने की संभावना उतनी ज्यादा. इस बीच सत्ता के शिखर पर बैठने के लिए बीजेपी और समाजवादी पार्टी से लेकर बहुजन समाज पार्टी तक, सब ब्राह्मणों को लुभाने में जुटी हैं. लेकिन इस समुदाय की वोटों को लेकर सबसे ज्यादा नींद बीजेपी की उड़ी हुई है. जानिए कैसे.


ब्राह्मण वोटरों को रिझाएंगे टेनी


यूपी में एक तो सब दलों की नजर ब्राह्मण वोटर पर है. ऊपर से बीजेपी के लिये ब्राह्मण नेता केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी मुसीबत बने हुए हैं, लेकिन जिस तरह से ब्राह्मण नेताओं की बैठक में संदेश देने की कोशिश हुई है उससे तो यही लग रहा है कि बीजेपी टेनी का कद घटाने की बजाय बढ़ा रही है. पत्रकारों को गाली देकर चर्चा में आये गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी को बीजेपी ने उन सोलह नेताओं की लिस्ट में शामिल किया है, जो ब्राह्मण वोटरों को रिझाएंगे.


रविवार को दिल्ली में बीजेपी के यूपी में चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान के घर जो बैठक हुई उसमें टेनी मौजूद थे और उसी बैठक में ब्राह्मण नेताओं की एक कमेटी बनाई गई.




(अजय मिश्रा टेनी)

बीजेपी कैसे ब्राहम्णों को रिझाएगी?



  • 12% ब्राह्मण वोटरों को साधने के लिए 16 नेताओं की टीम बनाई गई है.

  • सभी 403 सीटों पर ब्राह्मण वोटरों को बीच जाएगी टीम.

  • अपने अपने इलाके के प्रतिष्ठित ब्राह्मण समाज के लोगों से मिलेंगे नेता.

  • टीम के लोग बताएंगे कि सरकार ने क्या कुछ काम किया है.


ब्राह्मण नेताओं की टीम राज्य के ब्राह्मणों को बताएगी कि कैसे मोदी और योगी सरकार ने उनके समाज के लिए काम किया है. इनमें सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण, अयोध्या, काशी में मंदिरों के भव्य निर्माण जैसे काम शामिल हैं. पार्टी नेताओं का मानना है कि ये टीम ब्राह्मणों के बीच जाएगी तो उनकी नाराजगी दूर होगी.


यूपी में बीजेपी लिए ब्राह्मण क्यों जरूरी हैं?


यूपी में फिलहाल दलित मायावती और यादव अखिलेस यादव के पक्ष में हैं. ऐसे में बीजेपी को हर हाल में ब्राह्मण वोटों को अपने पक्ष में करना जरूरी है. यूपी में ब्राह्मणों का वोट तकरीबन 12 से 14 फीसदी ही है, लेकिन चुनावी इतिहास बताता है कि उन्होंने किसी भी पार्टी को सत्ता तक पहुंचाने में अपनी निर्णायक भूमिका निभाई है. यूपी को अब तक छह ब्राह्मण मुख्यमंत्री मिल चुके हैं. नारायण दत्त तिवारी के बाद यूपी में कोई भी ब्राह्मण समुदाय से मुख्यमंत्री नहीं बन सका.




(सीएम योगी के साथ पीएम मोदी)

चुनावी जानकारों का मानना है कि यूपी में पिछले तीन दशकों से ब्राह्मण समुदाय राजनीतिक पार्टियों के लिए महज एक वोटबैंक बनकर रह गया है. साल 2007 में बीएसपी ने ब्राह्मणों को अपने साथ जोड़कर ही सरकार बनाई थी. साल 2014 में केंद्र में मोदी सरकार आई, तब यूपी में बीजेपी को 80 में से 71 सीटों पर जीत मिली थी. साल 2017 में योगी की सरकार बनवाने में भी उनकी भूमिका को नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता. 


ऐसे में यूपी में ब्राह्मण वोटरों पर मायावती से लेकर अखिलेश यादव तक की नजर है. ब्राह्मण अगर बीजेपी से दूर जाता है तो फिर बीजेपी के लिए सत्ता में वापसी मुश्किल हो जाएगी. शायद यही वजह है कि बीजेपी इतना सब होने के बाद भी गालीबाज मंत्री टेनी को झेल रही है.