उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी में टिकट बंटवारे को लेकर लगातार मंथन चल रहा है. इसमें कई ऐसे विधायकों पर भी फैसला लिया जा रहा है, जिनका टिकट इस बार कटने जा रहा है. लेकिन यूपी में अब बीजेपी की रणनीति बदल गई है. पार्टी के दर्जन भर बड़े नेताओं और मंत्रियों के समाजवादी पार्टी में चले जाने के बाद ये बदलाव हुआ है. 


बताया जा रहा था कि बीजेपी ने पहले कम से कम सौ विधायकों के टिकट काटने का मन बनाया था. ऐसे विधायक जिन्हें लेकर उनके क्षेत्र में विरोध हो रहा है और जिनके जीतने के आसार कम हैं. लेकिन दिल्ली में हुई चुनाव समिति की बैठक में तय हुआ कि अब सिर्फ़ 10 फ़ीसदी विधायकों का ही टिकट कटेगा.


पार्टी नेताओं के दल बदल को देखते हुए बीजेपी सतर्क
योगी सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान, धर्म सिंह सैनी और उनके समर्थक विधायकों के बीजेपी छोड़ने के बाद से पार्टी बैकफ़ुट पर है. इन नेताओं ने पार्टी छोड़ते समय बीजेपी और योगी सरकार पर पिछड़ों और दलितों की उपेक्षा का आरोप लगाया है. जिसके बाद से समाजवादी पार्टी के पक्ष में हवा बनने लगी है. चुनाव में इसका फ़ायदा हो न हो पर अभी तो माहौल बन गया है. पार्टी के थिंक टैंक को लगा कि ये ट्रेंड बना रहा तो फिर बीजेपी के लिए ख़तरे की घंटी बज सकती है. इसीलिए तय हुआ कि बीजेपी परिवार को टूटने और बिखरने से बचाने के लिए कम से कम विधायकों का टिकट काटा जाए.


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कई विधायकों को मिला जीवनदान
तीन दिनों तक दिल्ली में बीजेपी की बैठक में 172 विधानसभा सीटों पर चर्चा हुई. इस लिस्ट में उन अधिकतर विधायकों की जान बच गई जिनके टिकट कटने का ख़तरा था. चुनाव समिति की मीटिंग में मौजूद रहे पार्टी के दो नेताओं ने बताया कि कई विधायकों को जीवनदान मिल गया है. चुनाव समिति की बैठक में 2 सर्वे की रिपोर्ट और संगठन की तरफ़ से भेजे गए पैनल में नाम पर चर्चा हुई. इसके आधार पर टिकट दिए गए. जिन विधायकों का टिकट आख़िरी मौक़े पर बच गया उनके बारे ये कहा गया कि उनका उचित विकल्प नहीं मिला. कुल मिलाकर यूपी में बीजेपी के 300 विधायक हैं. अब तक मिली जानकारी के मुताबिक़ 25 से लेकर 35 वर्तमान विधायकों का टिकट काटे जाने को लेकर चर्चा हुई है. 


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