नई दिल्लीः उन्नाव रेप कांड मामले में दोषी और बीजेपी के निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. अदालत ने उसपर 25 लाख का जुर्माना भी लगाया है. दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने कुलदीप सेंगर को यह सजा सुनाई है. सेंगर पर आरोप है कि उसने साल 2017 एक नाबालिग लड़की का अपहरण कर उसके साथ रेप की घटना को अंजाम दिया था.


क्या है पूरा मामला?


नाबालिग लड़की ने कुलदीप सेंगर पर बलात्कार का आरोप लगाया था. न्याय की मांग को लेकर आरोप लगाने वाली लड़की ने सीएम योगी के घर के बाहर आत्मदाह की कोशिश की थी. उसी महीने की तीन तारीख को पीड़िता के पिता की जेल में संदिग्ध परिस्थियों में मौत हो गई थी. पीड़िता ने विधायक कुलदीर सेंगर पर जेल में हत्या कराने का आरोप भी लगाया था.


सजा के साथ जुर्माना


दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने सजा का एलान करते हुए कहा कि 25 लाख रुपये में से 10 लाख रुपये पीड़िता को दिया जाए जबकि बाकी के 15 लाख सरकारी पक्ष को सुनवाई में हुए खर्च के लिए दिया जाए. कोर्ट ने सेंगर को जुर्माना महीने भर के भीतर भरने का निर्देश दिया.


सुप्रीम कोर्ट ने मामला दिल्ली किया था ट्रांसफर


गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव के इस मामले को अगस्त महीने में दिल्ली ट्रांसफर किया था और दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में मामले की रोजाना सुनवाई चल रही थी.


उन्नाव केस की पूरी जानकारी, 11 जून 2017 से अब तक क्या क्या हुआ?


11 जून 2017: पीड़िता गांव के युवक शुभम के साथ गायब हुई, परिवारवालों ने आरोपी शुभम, अवधेश पर केस किया.


21 जून 2017: पीड़िता पुलिस को मिली.


22 जून 2017: पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया, पीड़िता ने तीन लोगों पर गैंगरेप का आरोप लगाया. विधायक समर्थक बताए जा रहे तीनों युवकों की गिरफ्तारी हुई.


1 जुलाई 2017: मामले में चार्जशीट दायर हुई.


22 जुलाई 2017: पीड़िता ने पीएम-सीएम को चिट्ठी लिखी, कुलदीप सेंगर पर रेप का आरोप लगाया.


30 अक्टूबर 2017: विधायक समर्थकों ने पीड़िता के परिवार पर मानहानि का केस किया, पीड़िता के घरवालों पर विधायक को रावण बताने वाला पोस्टर लगाने का आरोप.


11 नवंबर 2017: पीड़िता के चाचा पर भी मानहानि का केस.


22 फरवरी 2018: उन्नाव जिला अदालत में अर्जी दी, अर्जी में विधायक पर रेप का आरोप लगाया. आरोपी शुभम की मां पर नौकरी के बहाने विधायक के घर ले जाने का आरोप.


3 अप्रैल 2018: कोर्ट से लौटते वक्त पीड़िता के परिवार पर हमले का आरोप. विधायक के भाई पर बदमाशों के साथ मिलकर पीटने का आरोप लगा. पुलिस ने आरोपियों की जगह पीड़िता के पिता पर आर्म्स एक्ट में केस किया.


4 अप्रैल 2018: डीएम से शिकायत हुई, विधायक समर्थकों पर केस दर्ज हुआ. पुलिस ने विधायक के भाई पर कोई केस नहीं किया.


4 अप्रैल 2018: पीड़िता के पिता को जेल भेज दिया गया.


9 अप्रैल 2018: सुबह पीड़िता के पिता की मौत हो गई. पुलिस ने तब चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया. विधायक के भाई का नाम आने पर उसकी भी गिरफ्तारी हुई.


10 अप्रैल 2018: पीड़िता के पिता के पोस्टमार्टम के बाद हत्या की धारा जोड़ी गई. लापरवाही बरतने के आरोप में थाना प्रभारी समेत 6 पुलिसवाले निलंबित किए गए. जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया.


11 अप्रैल 2018: एसआईटी ने मामले की जांच करने पीड़िता के परिवार को लेकर उसके गांव पहुंची और पूछताछ की. हाईकोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया.


12 अप्रैल 2018: हाईकोर्ट ने पूरे मामले को सुना, सरकार ने कहा कि विधायक के खिलाफ सबूत नहीं इसलिए गिरफ्तार नहीं कर सकते. केस सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया है इसलिए गिरफ्तारी पर फैसला सीबीआई लेगी. हाईकोर्ट ने अगले दिन के फैसला सुरक्षित रखा.


13 अप्रैल 2018: सुबह 4.30 बजे विधायक को पुश्तैनी घर से सीबीआई ने गिरफ्तार किया.