रांची: केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने झारखंड में रामगढ़ लिंचिंग के दोषियों को बेल मिलने के बाद उनसे मुलाकात की है. हैरत में डालने वाली बात ये है कि उन्होंने ना सिर्फ इन दोषियों से मुलाकात की बल्कि माला पहना और मिठाई खिला उनका स्वागत भी किया. इन पिछले हफ्ते हुई इस मुलाकात की तस्वीरें सामने आने के बाद जयंत सिन्हा विवादों में घिरते नज़र आ रहे हैं. उनके इस तरह दोषियों से मिलने औऱ उनका स्वागत करने पर सवाल उठने के बाद अब उनका पक्ष आया है. सिन्हा ने सफाई देते हुए कहा है कि वो एक जनप्रतिनिधि हैं और कानून की रक्षा करने की कसम खाई है.
केंद्रीय मंत्री ने अपना पक्ष रखते हुए कहा, "मैंने पहले ही अपना पक्ष साफ कर दिया है. आरोपियों को सज़ा मिलनी चाहिए. मैं एक जनप्रतिनिध और मंत्री हूं, मैंने कानून की रक्षा करने की कमस खाई है. किसी को कानून को अपने हाथों में लेने का अधिकार नहीं है."
दोषियों को सज़ा मिलेगी, निर्दोष छूट जाएंगे सिन्हा ने आगे कहा कि जब इन लोगों को बेल मिली, वो उनके घर आए और उन्होंने आरोपियों को शुभकामनाएं दी. सिन्हा कहते हैं कि कानून को अपना काम करने दिया जाए, जिन्होंने ऐसा किया होगा उन्हें सज़ा मिलेगी और जो निर्दोष हैं वो छूट जाएंगे.
बीफ के शक में हुई थी अलीमुद्दीन की हत्या केंद्रीय मंत्री सिन्हा ने लिंचिंग के जिन दोषियों का स्वागत माला पहनाकर किया वो हाई कोर्ट से मिली बेल पर जेल से बाहर आए हैं. इन्हें एक निचली अदालत ने 40 साल के अलीमुद्दीन अंसारी की पीट पीट कर कर हत्या करने के मामले में दोषी करार दिया है. अलीमुद्दीन की हत्या पिछले साल 29 जून को झारखंड के रामगढ़ में की गई थी. लिंचिंग में शामिल दोषियों ने अलीमुद्दीन पर बीफ ट्रांसपोर्ट करने का आरोप लगाकर उसकी गाड़ी को आग के हवाले कर दिया था.
अभी तक इस मामले में क्या हुआ है
घटना 29 जून 2017 की है जब भीड़ ने अलीमुद्दीन को मार डाला. सितंबर 2017 में पुलिस ने इस मामले में आरोप पत्र दाखिल किया था. इस साल 16 जून 2018 को कोर्ट ने 11 लोगों को दोषी करार दिया. 21 मार्च 2018 को सभी दोषियों को म्र कैद की सजा दी गयी. जिसे बाद में इसमें से 8 दोषियों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी. 29 जून 2018 को हाईकोर्ट ने सजा पर रोक लगाते हुए इन्हें जमानत दे दी. रामगढ़ लिंचिंग मामले में कुछ 12 लोगों पर आरोप लगे थे. 12वां आरोपी एक नाबालिग है और उसका मामला जुवेनाइल कोर्ट में चल रहा है.