संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार उच्च शिक्षा आयोग से जुड़ा विधेयक लाने के तैयारी में जुटी है. केंद्र सरकार इस नए बिल के जरिए देश के उच्च शिक्षा नियामक में बड़े बदलाव करने की तैयारी कर रही है. इस बिल को भारत के राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 के अनुरूप तैयार किया गया है.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इस बिल के तहत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) तीनों संस्थाओं को एक साथ एकीकृत संरचना में शामिल करने की योजना है. जिसका मकसद उच्च शिक्षा में पारदर्शिता लाना और गुणवत्ता को और ज्यादा बेहतर करना है. हालांकि, केंद्र सरकार फिलहाल इस बिल के दायरे में मेडिकल और लॉ कॉलेजों को लेकर नहीं आएगी.
विधेयक के तहत चार स्वतंत्र संस्थाएं करेंगी काम
वहीं, इस बिल के तहत हाइयर एजुकेशन कमिशन ऑफ इंडिया (HECI) विनियमन, मान्यता और पेशेवर मानकों को निर्धारण करेगा. जिसके अंतर्गत चार स्वतंत्र संस्थाएं भी काम करेंगी. इन चारों स्वतंत्र संस्थाओं का अलग-अलग काम होगा, अलग-अलग भूमिका होगी. जिनमें,
- नेशनल हायर एजुकेशन रेग्युलेटरी काउंसिल (NHERC): मेडिकल और कानूनी शिक्षा को छोड़कर सभी उच्च शिक्षा कार्यक्रमों का नियमन करेगी.
- नेशनल एक्रेडिटेशन काउंसिल (NAC): विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की मान्यता प्रक्रिया संभालेगी.
- जनरल एजुकेशन काउंसिल (GEC): सीखने के परिणाम और शैक्षणिक मानक तय करेगी.
- हायर एजुकेशन ग्रांट्स काउंसिल (HEGC): संस्थानों के लिए फंडिंग से जुड़े कार्य करेगी.
2018 में भी केंद्र सरकार ने की थी नियामक ढांचे में बदलाव की कोशिश
साल 2018 में भी केंद्र सरकार ने उच्च शिक्षा के नियामक ढांचे में बदलाव लाने की कोशिश की थी, लेकिन उस समय मसौदे में सिर्फ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को शामिल किया था और AICTE और NCTE को इस मसौदे के सीमा से बाहर रखा गया था. इसके अलावा, AICTE और NCTE के अध्यक्षों को आयोग का सदस्य बनाए जाने का प्लान था.
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