Parliament Winter Session: संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है. इस दौरान केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने शुक्रवार (9 दिसम्बर 2022) को लोकसभा को सूचित किया कि साल 2022 में जनवरी से लेकर अक्टूबर के बीच एक लाख से अधिक लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ी है. उन्होंने ये भी बताया कि लगभग 32 मिलियन भारतीय या भारतीय मूल के लोग विदेशों में रहते हैं और विदेश मंत्रालय उन सभी लोगों को सेवाएं प्रदान कर रहा है.


अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, मुरलीधरन ने लोकसभा को बताया कि उपलब्ध जानकारी के अनुसार साल 2015 में 1 लाख 31 हजार 489, साल 2016 में 1 लाख 41 हजार 603, साल 2017 में 1 लाख 33 हजार 49, साल 2018 में 1 लाख 34 हजार 561, साल 2019 में 1 लाख 44 हजार 17, साल 2020 में 85 हजार 256 और साल 2021 में 1 लाख 63 हजार 370 लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ी थी.


कांग्रेस सांसद ने मांगी थी जानकारी


इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ दी है, मंत्रालय उनकी भारत से ली गई संपत्ति पर नजर नहीं रखता है. दरअसल, कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक ने साल 2015 के जनवरी महीने से भारतीय नागरिकता छोड़ने वाले लोगों की संख्या का विवरण मांगा था. कांग्रेस सांसद के इस सवाल का जवाब केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधन ने दिया.


पासपोर्ट सेवाओं में हुआ 500 प्रतिशत सुधार


पासपोर्ट सेवाओं को लेकर किए गए सवाल का जवाब देते हुए मुलीधरन ने कहा कि साल 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद पासपोर्ट सेवाओं में 500 प्रतिशत तक सुधार किया गया है. वहीं क्या पासपोर्ट सेवा केंद्र खोलते समय मंत्रालय विपक्षी सांसदों के प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्रों के साथ भेदभाव करता है, इस सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार विपक्षी दलों के शासन वाले राज्यों या विपक्षी सांसदों के प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्रों को सभी तरह की मदद की पेशकश कर रही है. उन्होंने कहा कि मैंने खुद केरल में एक कांग्रेस सांसद के निर्वाचन क्षेत्र में पासपोर्ट सेवा केंद्र खोला है.


इसके अलावा, उन्होंने कहा कि मंत्रालय के पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान को छोड़कर विदेशी नागरिकों की संख्या साल 2015 में 93, साल 2016 में 153, साल 2017 में 175, साल 2018 में 129, साल 2019 में 113, साल 2020 में 27, साल 2021 में 42 और साल 2022 में 60 थी.


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