केंद्र सरकार की ओर से लाए गए संचार साथी ऐप को लेकर पिछले कुछ दिनों से भ्रम और अटकलों का बाजार काफी ज्यादा गर्म है. सरकार का कहना है कि यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जिसे यूजर्स को मोबाइल चोरी, फेक सिम और फ्रॉड कॉल्स जैसी समस्या से बचाने के लिए तैयार किया गया है. वहीं, सोशल मीडिया पर यह सबसे बड़ा भ्रम बना हुआ है कि यह ऐप उपयोगकर्ता के कॉल्स, लोकेशन और चैट्स की निगरानी करता है. इस ऐप को लेकर संसद तक बवाल मचा है, जिस पर बुधवार (3 दिसंबर, 2025) को मंत्रालय ने ऐप से जुड़े सवालों के स्पष्ट जवाब दिए हैं.

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संचार साथी ऐप से जुड़े किन सवालों ने मंत्रालय ने दिए जवाब?

सवाल 1: सरकार ने कंपनियों को नए फोनों में संचार साथी ऐप को प्री-इंस्टॉल करने को कहा है, तो फिर मंत्री क्यों कहते हैं कि ऐप ऑप्शनल है और हटाया जा सकता है?

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जवाबः सरकार का कहना है कि कंपनियां ऐप को छुपाएं नहीं या ऐसा न करें कि ऐप चल ही न पाए. इसका मतलब सिर्फ इतना है कि जब फोन मिले, ऐप दिखना चाहिए और ठीक से काम करना चाहिए. इसका यह मतलब नहीं है कि यूजर ऐप को हटा नहीं सकता है. स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यूजर चाहे तो ऐप को डिलीट कर सकता है. इसका इस्तेमाल पूरी तरह यूजर की इच्छा पर है.

सवाल 2: क्या ऐप को चलने के लिए बहुत सारे खतरनाक परमिशन चाहिए? सरकार इन्हें गलत इस्तेमाल से कैसे रोकेगी?

जवाबः संचार साथी ऐप सिर्फ उतनी ही परमिशन लेता है, जितनी ठगी रिपोर्ट करने के लिए जरूरी है. इसमें दो तरह की परमिशन होती हैं-

(A) बेसिक परमिशन- सिर्फ रजिस्ट्रेशन के लिए

  1. Make & Manage Phone Calls: बस यह चेक करने के लिए कि आपके फोन में कौन-सा सिम कार्ड एक्टिव है. ऐप इस परमिशन से कुछ और नहीं करता है.
  2. Send SMS: रजिस्ट्रेशन ओटीपी भेजने के लिए. बैंकिंग और UPI ऐप्स भी इसी तरह ओटीपी भेजते हैं. इनसे ये सुविधाएं मिलती हैं कि आपके नाम पर कितने मोबाइल नंबर हैं, इसका पता चलेगा और विदेश से +91 जैसा दिखने वाला स्पूफ किया गया कॉल पहचाना जा सकता है.

(B) एडवांस परमिशन- तभी मिलती हैं जब यूजर खुद दे

इनसे ऐप को यह करने की क्षमता मिलती हैः कैमरा से मॉबाइल का IMEI फोटो लेकर उसकी असलियत चेक करना, फ्रॉड कॉल/SMS का स्क्रीनशॉट भेजना, मोबाइल चोरी हो जाए तो ब्लॉक की रिक्वेस्ट डालना, फर्जी कॉल/SMS नंबर रिपोर्ट करना. यह ऐप माइक्रोफोन, लोकेशन, ब्लूटूथ या फोन की किसी अन्य प्राइवेट चीज तक कभी भी पहुंच नहीं लेता है.

सवाल 3: क्या ऐप यूजर की प्राइवेसी के लिए खतरा है? क्या यह निगरानी करता है?

जवाबः नहीं. ऐप फोन कॉल्स, लोकेशन, माइक्रोफोन, ब्लूटूथ, दूसरे ऐप्स तक पहुंच नहीं लेता. ऐप सिर्फ वही डेटा यूजर से लेता है, जो रिपोर्ट करने के दौरान यूजर खुद देता है. परमिशन भी सिर्फ एक-एक काम के लिए ली जाती है, जो परमिशन न दें, ऐप उसका उपयोग ही नहीं कर सकता है. चाहें तो यूजर कभी भी परमिशन हटाने या ऐप अनइंस्टॉल करने का पूरा हक रखता है.

सवाल 4: क्या यह कदम कानूनी और संविधान के हिसाब से सही है?

जवाबः हां, यह कानूनी और संविधान के अनुसार सही है. यह आदेश टेलिकॉम साइबर सिक्योरिटी रूल्स, 2024 के तहत जारी हुआ है, जो टेलीकम्युनिकेशन एक्ट, 2023 से जुड़ा है.

सवाल 5: क्या ऐप से मिलने वाला फायदा (जैसे फ्रॉड रोकना, चोरी का फोन ब्लॉक) निजी डेटा के जोखिम से ज्यादा है?

जवाबः सरकार का कहना है कि इस ऐप से कोई प्राइवेसी खतरा नहीं है. ऐप से काफी बड़े और असली फायदे मिले हैं, जिसमें,

  1. 1.43 करोड़ से ज्यादा फर्जी/बेकार नंबर लोगों ने "Not My Number" बताकर ब्लॉक कराए.
  2. 26.6 लाख चोरी व गुम मोबाइल रिकवर हुए.
  3. 6.48 लाख शिकायतों में 40.96 लाख मोबाइल नंबर ब्लॉक हुए.
  4. 6.2 लाख फ्रॉड से जुड़े IMEI नंबर ब्लॉक हुए.
  5. लगभग 475 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी रुक गई.

सरकार ने बताया क्या है ऐप का मकसद

केंद्र सरकार ने कहा कि संचार साथी ऐप का मकसद यह है कि जो लोग फ्रॉड पहचान सकते हैं, वे तुरंत रिपोर्ट करें और जो लोग फ्रॉड नहीं पहचान पाते, उन्हें भी बचाया जा सके. इससे स्कैम कॉल/SMS भेजने वालों को पकड़ना आसान होता है. संचार साथ ऐप सिर्फ ठगी रोकने में मदद करता है, आपकी प्राइवेसी नहीं तोड़ता और चाहें तो आप इसे कभी भी फोन से डिलीट कर सकते हैं.

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