UCC In Uttarakhand: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 38वें राष्ट्रीय खेलों का शुभारंभ करने के लिए मंगलवार (28 जनवरी 2025) को देहरादून का दौरा करेंगे. पीएम के उत्तराखंड आगमने से एक दिन पहले 27 जनवरी को ही राज्य में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू हो जाएगी. 27 जनवरी को दोपहर 12:30 बजे सचिवालय में यूसीसी पोर्टल लॉन्च किया जाएगा. इस तरह से उत्तराखंड UCC लागू करने वाला भारत का पहला राज्य होगा.

यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है कि विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियम होंगे. 12 फरवरी 2022 को विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वादा किया था कि अगर बीजेपी सत्ता में वापस आती है तो राज्य में यूसीसी लागू की जाएगी. इसके बाद पीएम मोदी ने कई मौकों पर यूसीसी क्यों जरूरी है इस बात का जिक्र किया था.

कई मौकों पर पीएम मोदी कर चुके हैं जिक्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 जून 2023 को कहा था कि भारत को समान नागरिक संहिता की आवश्यकता है, क्योंकि देश अलग-अलग समुदायों के लिए अलग-अलग कानून की दोहरी प्रणाली के साथ नहीं चल सकता. पिछले साल 15 अगस्त, 2024 को स्वतंत्रता दिवस भाषण में पीएम मोदी ने लाल कीले की प्रचीर से यूसीसी का जिक्र किया था.

पीएम मोदी ने क्या कहा था?

  • हमारे देश में, सुप्रीम कोर्ट ने समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर बार-बार बात की है.
  • कई आदेश जारी किए गए हैं, जो हमारी आबादी के एक महत्वपूर्ण हिस्से की धारणा को दर्शाते हैं और सही भी है कि वर्तमान नागरिक संहिता सांप्रदायिक नागरिक संहिता से मिलती-जुलती है, जो भेदभावपूर्ण है.
  • जैसा कि हम संविधान के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं, हमें इस विषय पर व्यापक चर्चा करनी चाहिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट इस बदलाव की वकालत करता है और यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम अपने संविधान निर्माताओं के दृष्टिकोण को साकार करें.
  • हमें विविध विचारों और दृष्टिकोणों का स्वागत करना चाहिए.
  • हमारे देश को धर्म के आधार पर विभाजित करने वाले और भेदभाव को बढ़ावा देने वाले कानूनों का आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं है.
  • देश के लिए धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता की मांग करने का समय आ गया है.
  • सांप्रदायिक नागरिक संहिता के 75 साल बाद, धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता की ओर बढ़ना महत्वपूर्ण है.
  • एक बार जब यह बदलाव हो जाएगा, तो यह धार्मिक भेदभाव को खत्म कर देगा और आम नागरिकों की ओर से महसूस की जाने वाली खाई को पाट देगा.

 उत्तराखंड सरकार ने 27 मई, 2022 को राज्य में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की जांच और क्रियान्वयन के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया. इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था.

विशेषज्ञ समिति

अध्यक्ष - (सेवानिवृत्त न्यायाधीश) रंजना प्रकाश देसाई

सदस्य

  • (सेवानिवृत्त जज) प्रमोद कोहली
  • मनु गौड़ (सामाजिक कार्यकर्ता)
  • शत्रुघ्न सिंह (सेवानिवृत्त आईएएस)
  • सुरेखा डंगवाल (कुलपति, दून विश्वविद्यालय)

2 लाख से ज्यादा लोगों ने भेजे थे सुझाव

समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लिए गठित पांच सदस्यीय समिति ने 2 फरवरी 2024 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट सौंपी. लगभग 20 महीने तक चले व्यापक जनसंपर्क अभियान के बाद समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी. इसमें लगभग 2.33 लाख लोगों ने सुझाव भेजे थे.

3 मार्च 2024 को राष्ट्रपति ने मंजूरी दी

उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने 4 फरवरी 2024 को राज्य विधानसभा में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पेश करने को अपनी मंजूरी दे दी. उत्तराखंड विधानसभा में 6 फरवरी 2024 को समान नागरिक संहिता विधेयक पेश किया गया. 7 फरवरी 2024 को उत्तराखंड विधानसभा ने दो दिनों तक चली बहस के बाद समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक 2024 को ध्वनिमत से पारित कर दिया. इस बिल को 13 मार्च 2024 को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी.

पुष्कर सिंह धामी ने 9 जनवरी 2025 को 29वें उत्तरायणी मेले के उद्घाटन के दौरान सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा था, "हमने देवभूमि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता कानून तैयार किया है. यह राज्य का पहला सम्मान है और इसे इसी महीने लागू कर दिया जाएगा. उत्तराखंड सरकार ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में 20 जनवरी, 2025 को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के नियमों को मंजूरी दे दी.

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