नई दिल्ली: आधार कार्ड बनाने वाली संस्था यूआईडीएआई ने साफ किया है कि आधार बनाने के लिए इकट्ठा किए गए बायोमेट्रिक डेटा का इस्तेमाल अपराध (क्राइम) से जुड़ी जांच के लिए नहीं हो सकता है. डेटा का इस्तेमाल केवल आधार नंबर जारी करने और किसी की पहचान साबित करने के लिए ही किया जा सकता है. यूआईडीएआई का यह बयान ऐसे समय आया है जब राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने अपराध पकड़ने के लिए पुलिस को आधार की सूचनाओं की सीमित उपलब्धता की बातें की थी.
यूआईडीएआई ने कहा कि आधार कानून 2016 के सेक्शन 29 के तहत अपराध की जांच के लिए बायोमेट्रिक डेटा के इस्तेमाल की इजाजत नहीं है. यूआईडीएआई ने कहा कि अधिनियम की धारा 33 के तहत बेहद सीमित छूट दी गयी है. इसके तहत राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला होने पर आधार की बायोमेट्रिक डेटा का इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन यह भी सिर्फ तभी संभव है जब कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली समिति इसके लिए पूर्व में अनुमति दे चुकी हो.
उसने कहा , ‘‘सुप्रीम कोर्ट में आधार मामले की चल रही सुनवाई में भी भारत सरकार का यह लगातार पक्ष रहा है.’’ आपको बता दें कि आधार कार्ड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई है. याचिकाकर्ता का कहना है कि आधार डेटा को गलत इस्तेमाल किया जा सकता है और आधार नहीं होने पर मूलभूत सुविधाओं से लोगों को नहीं रोका जा सकता है. जबकि सरकार का पक्ष है कि डेटा को पूरी तरह सुरक्षित है.
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