नई दिल्ली: रत्नागिरी जिले में प्रस्तावित नाणार रिफायनरी को लेकर बीजेपी और शिवसेना में तनाव नए सिरे से बढ़ गया है.खबर है कि सऊदी से नए करार के बाद दोनों पार्टियों में तल्खी बढ़ गई है. केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उद्धव ठाकरे से कल मुलाकात करने के लिए समय मांगा था लेकिन सूत्र बता रहे हैं उद्धव ने मिलने से इनकार कर दिया है. शिवसेना नाणार प्रोजेक्ट का विरोध कर रही है, जबकि सरकार इसे आगे बढ़ाने में लगी है.

महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार पर ये आरोप लग रहे हैं कि प्रोजेक्ट की जानकारी वक्त से पहले लीक करके राजनेताओं को फायदा पहुंचाया गया. रत्नागिरी के पास जिस जगह पर प्रोजेक्ट प्रस्तावित है वहां प्रोजेक्ट की घोषणा से ठीक पहले आश्चर्यजनक ढंग से बडे पैमाने पर जमीन की बिक्री हुई. जमीन खरीदने वाले ज्यादातर लोग इलाके से बाहर के और गैर मराठी हैं.

एमएनएस और शिवसेना ने बीजेपी पर लगाए आरोप महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने आरोप लगाया था कि कोंकण रिफाइनरी के लिये जिस जमीन का अधिग्र्हण किया जाना है उसे महाऱाष्ट्र और केंद्र के सत्ताधारी राजनेताओं ने अपने एजेंटों के जरिये पहले ही खरीद लिया ताकि मुआवजे के तौर पर मोटी कमाई हो सके. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना से शिवसेना ने एक कदम आगे बढ सीधे सीधे बीजेपी पर आरोप लगाया है कि वो गुजरात के भू माफिया के हाथों कोंकण की जमीन खरीदवा रही है.

ये है पेट्रोकेमिकल रिफाइनरी प्रोजेक्ट से जुड़ी पूरी जानकारी दरअसल भारत की 3 बडी तेल कंपनियों इंडियन आईल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने मिलकर रत्नागिरी रिफाईनरीज एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड कंपनी बनाई है. इस कंपनी ने रत्नागिरी जिले की राजापुर तहसील में 15 हजार एकड जमीन देख रही है, जिसपर एशिया की सबसे बडी तेल रिफाइनरी खडी करने का इरादा है. इस रिफाइनरी से सालाना 6 करोड मेट्रिक टन कच्चे तेल की प्रोसेसिंग होगी. इसके लाखों लाखों टन पेट्रोकेमिकल उत्पाद तैयार किये जायेंगे.

कंपनी का दावा है कि इससे महाराष्ट्र सरकार की तिजोरी में 10 से 15 फीसदी का इजाफा होगा, जबकि भारत की जीडीपी 2 से 3 फीसदी तक बढेगी लेकिन रोजगार से वंचित होने, विस्थापन और पर्यावरण को होने वाले नुकसान के मुद्दे को लेकर स्थानीय लोग प्रोजेक्ट के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. इस विरोध का बीजेपी को छोडकर बाकी सभी सत्ताधारी और विपक्षी पार्टियां समर्थन कर रहीं हैं. ऐसे में प्रोजक्ट शुरू होने से पहले जिस तरह से दूसरे राज्य के लोगों की ओर से जमीन की अंधाधुंध खरीददारी की बात खुली है, उसने आग में घी डालने का काम किया है.