औरंगाबाद: मध्य महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर में दो समुदायों के बीच झड़प के बाद हुई हिंसा के 36 घंटे के बाद अब शांति है. इस हिंसा में 2 लोगों की मौत और 51 लोग घायल हैं. ये हिंसा एक अवैध तरीके से लिए हुए नल हटाए जाने की घटना से शुरू हुई.

मरने वालों में 17 साल का एक युवक है जिसकी मौत कथित तौर पर पुलिस की गोली से हुई. वहीं 65 साल के एक व्यक्ति की मौत तब हुई जब पास की एक दुकान में दंगाइयों ने आग लगा दी जिसकी वजह से वह अपने घर में फंस गए.

हिंसा करने वालों को छोड़ेंगे नहीं: सीएम राज्य के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा है कि हिंसा करने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा. शहर में धारा 144 लागू है और मोबाइल इंटरनेट बंद है. पुलिस ने इस हिंसा में अब तक 25 लोगों को हिरासत में लिया है.

क्या है पूरा मामला? शुक्रवार 11 मई को दो समुदायों के बीच झड़प शुरू हुई थी. जिसके बाद दिल दहला देने वाली तस्वीरें सामने आईं. दंगाईयों ने 100 से ज्यादा गाड़ियों को फूंक दिया और 100 से ज्यादा दुकानों को आग के हवाले कर दिया. इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसूगैस के गोलों से स्थिति को काबू में करने की कोशिश की लेकिन दंगाई भीड़ ने पुलिस पर भी पथराव किया जिसमें दस पुलिसकर्मी घायल हो गए.

क्यों हो रहा है विवाद? विवाद के पीछे कई वजहें सामने आ रही है. बताया जा रहा है कि विवाद की शुरुआत करीब एक महीने पहले हुई जब शाहगंज इलाके में लगी वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति और उसके पास लगी पुरानी घड़ी जिसकी मरम्मत की जानी थी. इस वजह से उसके पास छोटी-छोटी दुकानों के अतिक्रमण को हटाने की बात आई तभी दो गुटों में विवाद शुरु हुआ था. इसके बाद 8 दिन पहले शाहगंज इलाके में ही बीच रास्ते में ठेला लगाये दो गुटों में विवाद हुआ.

दूसरी वजह चार दिन पहले दो धार्मिक स्थलों में अवैध जल कनेक्शन हटाने के बाद इस मामले ने सांप्रदायिक रंग ले लिया. इसके बाद शुक्रवार को शाम 6 बजे मोती करांजा और गांधी नगर में लड़की को छेड़ने के कारण दो गुटों में विवाद हुआ और वहां पर एक दूसरे में मारपीट हुई. इसी के बाद से व्हाट्सएप पर अफवाहें फैलने लगीं कि कहीं मस्जिद गिरा दी गई है, कहीं मंदिर गिरा दिया गया है, लोगों से मारपीट हो रही है.