नई दिल्ली: देश की हिफाजत के लिए तैनात दो जवानों की आज प्राकृतिक आपदा में जान चली गई. रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि लद्दाख के दक्षिणी सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन की चपेट में आने से सेना के गश्ती दल के दो जवान शहीद हो गए. श्रीनगर में एक रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि सेना का गश्ती दल दक्षिणी सियाचिन ग्लेशियर में लगभग 18,000 फुट की ऊंचाई पर गश्त कर रहा था जब आज सुबह दल हिमस्खलन की चपेट में आ गया.


उन्होंने बताया कि एक हिमस्खलन बचाव दल (एआरटी) तुरंत वहां पहुंचा और टीम के सभी सदस्यों का पता लगाने और उन्हें बाहर निकालने में कामयाब रहा. दल के साथ ही जवानों को बचाने के लिए सेना के हेलीकॉप्टरों की भी सेवाएं ली गई.


इसी महीने 18 तारीख को बर्फीले तूफान में चार जवानों और दो पोर्टर की मौत हो गई थी. बता दें कि सियाचिन ग्लेशियर हाल ही में बने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख का हिस्सा है और दुनिया का सबसे उंचा रणक्षेत्र माना जाता है. साल 1984 में भारतीय सेना ने इस ग्लेशियर को ऑपरेशन मेघदूत के बाद अपने अधिकार-क्षेत्र में कर लिया था क्योंकि पाकिस्तान इसपर कब्जा करने के फिराक में था. तब से भारतीय सैनिक यहां पर तैनात हैं. सियाचिन ग्लेशियर पर सबसे उंची चोटी करीब 24 हजार फीट की उंचाई पर है.






वर्ष 2016 में भी सियाचिन के नार्दन सेक्टर में एवलांच आने से 10 जवानों की मौत हो गई थी. इनमें से एक हनुमंथप्पा छह दिन बाद 35 फीट बर्फ के नीचे से जिंदा निकले थे. लेकिन बाद में दिल्ली के आरएंडआर अस्पताल में उनकी भी मौत हो गई थी. सियाचिन ग्लेशियर ही भारत का एक मात्र ऐसा रणक्षेत्र है जहां मौसम से होने वाली मौत के बाद भी जवान को 'किल्ड इन एक्शन' ('वीरगति') का दर्जा दिया जाता है.