तमिलनाडु के करूर में विजय की रैली के दौरान हुई भगदड़ को लेकर सियासत और तेज हो गई है. तमिलगा वेत्रि कझगम (TVK) के चुनाव प्रचार प्रबंधन के महासचिव आधारव अर्जुना ने आरोप लगाया है कि यह हादसा पुलिस और सत्तारूढ़ DMK नेताओं की सुनियोजित साजिश थी. उन्होंने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग करते हुए मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की, हालांकि सूत्रों के मुताबिक कोर्ट रजिस्ट्री ने उनकी याचिका स्वीकार करने से इनकार कर दिया.

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बार-बार परमिशन और बिजली में गड़बड़ी के आरोप

अर्जुना ने याचिका में कहा कि पार्टी की पसंद की जगहों पर रैली की अनुमति बार-बार रोकी गई और केवल छोटे स्थलों पर इजाजत दी गई जहां भीड़ संभालना मुश्किल था. कई जगहों पर रैली के दौरान बिजली कनेक्शन काट दिए गए और पर्याप्त पुलिस बल भी तैनात नहीं किया गया. उनका दावा है कि करूर की रैली में भी विजय के भाषण से पहले ही बिजली गुल कर दी गई, जिससे लोग बैकअप जनरेटर की तरफ दौड़ पड़े और भगदड़ मच गई.

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रैली में उपद्रवियों के घुसने का दावा

TVK नेता ने यह भी कहा कि कुछ असामाजिक तत्वों ने रैली में घुसकर न केवल विजय पर बल्कि जनता पर भी चप्पल और पत्थर फेंके. यह सब माहौल को बिगाड़ने और भीड़ को भड़काने के लिए किया गया. अर्जुना ने कई बिंदुओं को संदेहास्पद बताया. उन्होंने कहा कि रैलियों में बार-बार बिजली कटना, सरकार की ओर से बहुत ही सीमित जगहें देना, अस्पतालों का पहले से तैयार रहना, आधी रात को पोस्टमार्टम कराना और मंत्रियों का असामान्य तेजी से अस्पताल पहुंचना - यह सब दर्शाता है कि किसी भी कीमत पर रैली को खराब करने की कोशिश की गई.

CBI जांच की मांगउन्होंने कहा कि जिन अधिकारियों ने रैली स्थल तय किया, उन्हीं से हादसे की जांच कराना हितों का टकराव है. इसलिए केवल CBI जांच ही सच सामने ला सकती है. अर्जुना ने अदालत से यह भी अपील की कि अधिकारियों को TVK प्रमुख विजय और खुद उन्हें करूर जाकर पीड़ित परिवारों से मिलने से न रोका जाए.