नई दिल्ली: अब आपको एक ऐसा वीडियो का सच बताते हैं जिसे सोशल मीडिया पर अस्पतालों और डॉक्टरों की कमीशनखोरी के खिलाफ मुहिम के तौर पर पेश किया जा रहा है. एक डीएम साहेब ने अस्पताल पर अचानक छापा मारा तो वहां मौजूद लोगों के पास उनके सवालों का जवाब नहीं था. भईया, या तो अपना सिर फोड़ लिजिए या मैं ही अपना फोड़ लेता हूं आप तीनों में से कोई सिर फोड़ ले तो अच्छा है या तो प्रिंसिपल साहब को नहीं पता या तो डीएम को नहीं पता या आप बहुत बुद्धिमान होंगे. एक डीएम जो अपने जिले के अस्पताल का हाल लेने पहुंचा तो हालत देखकर सिर फोड़ने की बात करने लगा. एक डीएम जो गरीबों के हक की दवाई का हिसाब मांग रहा था. अस्पतालों में बीपीएल को 100% दवाइयां फ्री मिलती हैं. आप डॉक्टर साहब जवाब दीजिए. क्या आप ऐसी दवाइयां लिखेंगे जिसमें से एक भी अस्पताल में मौजूद ना हो मतलब आपके पास इतनी बेसिक दवाई भी नहीं है. एक डीएम जो वायरल वीडियो में बार-बार ये पूछता दिख रहा था कि जो दवा अस्पताल में मिलनी चाहिए वो आखिर बाहर से क्यों लिखी गई है किसने लिखी है. आप आदेश करेंगे 5000 इनकी तनख्वाह से काटकर इनको देने की आपको नॉलेज ही नहीं है तो आप नौकरी ही क्यों कर रहे है? आप ये बताइए अस्पताल में ये दवाई है या नहीं? है या नहीं ये बताइए? ये हैंडराइटिंग किसकी है? सोशल मीडिया पर ये वीडियो धडल्ले से वायरल हो रहा है. दावा है कि ये वीडियो उत्तराखंड में नैनीताल के डीएम दीपक रावत का है. वीडियो को हजारों लाइक मिले हैं जबकि 5 लाख 23 हजार देख चुके हैं. वीडियो को देखकर जनता सैल्यूट कर रही है और डीएम साहब की तारीफ कर रही है. करीब 3 मिनट का ये वीडियो आगे बढ़ता है तो डीएम का गुस्सा भी बढ़ता दिखता है. आपको तो मैं ऐसे डांट रहा हूं जैसे जाहिलों को डांटता हूं, पढ़े- लिखे लोग हो, आपको तो डांटना भी नहीं चाहिए खुद ही समझदार हैं आप लोग. ये दवा अभी यहां उपलब्ध है या नहीं. अभी आप इनकी सैलरी रोक देंगे. वीडियो से ये साफ पता चल रहा है कि मामला किसी अस्पताल का है. लेकिन मामला क्या ये जानने के लिए हमने वीडियो की पड़ताल शुरू की. जब तक कि कोई आदेश नहीं आ जाता इन्हें रोकिए कल ही मैं हेल्थ सेक्रेटरी को चिट्ठी लिखूंगा. बताऊंगा कि आप के अस्पताल में ये सब चल रहा है आप मुझे इनके नाम और सारी जानकारी दे देना. हमने सबसे पहले ये पता करने की कोशिश की कि नैनीताल में दीपक रावत नाम के डीएम हैं या नहीं. पड़ताल में सामने आया कि दीपक रावत नैनीताल के डीएम हैं. इसके बाद हम फेसबुक पेज पर पहुंचे. यहां पता चला कि दीपक रावत 2007 बैच के आईएएस ऑफिसर हैं और 2014 में नैनीताल के डीएम बने थे. लेकिन यहां कहानी का सबसे बड़ा सुराग मिला. जो वीडियो वायरल हो रहा है उसका दूसरा हिस्सा. इस वीडियो में नैनीताल के उस अस्पताल का नाम था जहां डीएम दीपक रावत ने छापा मारा था. अस्पताल का नाम था सुशील तिवारी अस्पताल. दरअसल ये पूरा मामला दो साल पहले साल 2015 के जनवरी महीने का है. जब डीएम ने अस्पताल से गायब डॉक्टरों और मरीजों को बाहर से दवा लेने पर मजबूर करने वाले डॉक्टरों को क्लास लगाई थी. डीएम दीपक रावत को जो डॉक्टर अस्पताल में नहीं मिले उनकी गैरहाजिरी लगाते हुए ऐसे डॉक्टरों की तनख्वाह भी काट ली थी. एबीपी न्यूज की पड़ताल में वायरल वीडियो सच साबित हुआ है.