ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार सेना के तीनों अंग यानी थलसेना, वायुसेना और नौसेना साझा युद्धाभ्यास करने जा रहे हैं. त्रिशूल नाम की इस एक्सरसाइज को पाकिस्तान सीमा से सटे राजस्थान और गुजरात सेक्टर में आयोजित किया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक ट्राई-सर्विस एक्सरसाइज को 30 अक्टूबर से लेकर 10 नवम्बर तक आयोजित किया जाएगा. इस एक्सरसाइज को लेकर भारत ने नोटम यानी नोटिस टू एयरमैन जारी किया है ताकि युद्धाभ्यास के दौरान एयर-स्पेस में किसी तरह का उल्लंघन न हो. 

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हाल के वर्षों में ये पहली बार है कि पश्चिमी सीमा पर भारत की ट्राइ-सर्विस यानी सेना के तीनों अंगों की साझा एक्सरसाइज की जा रही है. ये एक्सरसाइज ऐसे समय में हो रही है जब शुक्रवार को ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राजस्थान के जैसलमेर में भारतीय सेना (थलसेना) के तीन दिवसीय कमांडर्स कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया है.

भैरव बटालियन और अश्नि (ड्रोन) प्लाटून भी करेंगी एक्सरसाइज

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आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस से इतर थलसेना की दक्षिणी पश्चिमी कमान ने शुक्रवार (24 अक्टूबर) को पाकिस्तान से सटे सीमावर्ती इलाकों में थार-शक्ति नाम की एक खास एक्सरसाइज के जरिए अपनी सैन्य तैयारियों को धार दी. इस एक्सरसाइज के दौरान भारतीय सेना ने अपनी बेहद खास भैरव बटालियन और अश्नि (ड्रोन) प्लाटून को खड़ा करने का ऐलान किया.

सेना ने पहली पांच भैरव बटालियन को खड़ा कर ट्रेनिंग के बाद चीन-पाकिस्तान सीमा सहित उत्तर-पूर्व और जम्मू कश्मीर में तैनात कर दिया है. ये भैरव बटालियन, सेना की इन्फैंट्री और पैरा-एसएफ (स्पेशल फोर्सेज) के बीच की खाई को पाटने का काम करेगी. शुक्रवार को थार-शक्ति एक्सरसाइज के दौरान थलसेना ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के समक्ष अपनी अश्नि प्लाटून को भी दुनिया के सामने प्रदर्शित किया है. पौराणिक इतिहास में 'अश्नि' को देवराज इंद्र का हथियार माना जाता है, जिसे बज्र के नाम से भी जाना जाता है. भारतीय सेना की अश्नि प्लाटून में 20 सैनिक हैं, जिन्हें एफपीवी से लेकर सर्विलांस ड्रोन और स्वार्म ड्रोन सहित लोएटरिंग म्युनिशन में ट्रेनिंग दी गई है.

रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान FPV का हुआ इस्तेमाल 

रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान FPV यानी फर्स्ट पर्सन व्यू ड्रोन का जमकर इस्तेमाल किया गया था. ये ड्रोन सर्विलांस के साथ ही हैंड ग्रेनेड तक ले जाने में सक्षम हैं. स्वार्म ड्रोन, कई छोटे ड्रोन का एक झुंड है जो दुश्मन के सैनिकों के दल सहित टैंक या फिर गाड़ियों के काफिले पर हमला बोल सकता है. लोएटरिंग म्युनिशन में ड्रोन को हाई एक्सप्लोसिव बम से लैस किया जाता है. ये कामकाजी ड्रोन की तरह अपने लक्ष्य पर जाकर तबाह हो जाता है और दुश्मन को जबरदस्त नुकसान पहुंचाता है.

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने सियाचिन से लेकर लेह-लद्दाख और पंजाब से लेकर राजस्थान और रण ऑफ कच्छ (गुजरात) तक ड्रोन से हमला किया था. सेना ने हालांकि पाकिस्तान के ड्रोन अटैक को पूरी तरह विफल कर दिया था, लेकिन इसके बाद ही सेना ने हर इन्फेंट्री बटालियन में एक ड्रोन प्लाटून खड़ा करने का प्लान तैयार किया.

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