अगरतला: त्रिपुरा में 25 सालों बाद बीजेपी ने लेफ्ट का किला फतह कर लिया. बीजेपी की इस प्रचंड जीत का सबसे ज्यादा असर पूर्व सीएम माणिक सरकार पर पड़ा है. देश के सबसे गरीब सीएम और बेहद सादा जीवन जीने वाले माणिक सरकार अब सत्ता गंवाने के बाद अपने पार्टी दफ्तर में ही दो कमरों के घर में रहेंगे. भारतीय राजनीति में माणिक सरकार की पहचान उनके पद से नहीं बल्कि उनके रहन सहन के अलग अंदाज से हैं. वे सत्ता में रहते हुए भी उसकी चमक दमक से दूर सादा जीवन जीने के लिए जाने जाते रहे हैं.
लेकिन सीएम की ये सादगी भी त्रिपुरा में लेफ्ट के किले को नहीं बचा सकी और 25 सालों बाद त्रिपुरा की कम्युनिस्ट पार्टी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा. इस हार का असर ये हुआ कि अब माणिक सरकार खुद ही बेघर हो गए हैं. सीएम पद से इस्तीफा देने बाद उन्होंने मुख्यमंत्री का बंगला छोड़ दिया है और अब वे पार्टी दफ्तर में ही रहेंगे.
माणिक सरकार देश के सबसे गरीब मुख्यमंत्रियों में से एक हैं. माणिक सरकार के पास अपना कोई घर नहीं है. एक पुश्तैनी जमीन थी वो भी बहन के नाम कर चुके हैं. माणिक सरकार के पास अपनी कोई गाड़ी या दूसरा साधन भी नहीं है. नियम के मुताबिक अपनी सारी सैलरी माणिक सरकार कम्युनिस्ट पार्टी के फंड में दे देते थे. इसलिए उनके पास पैसे भी नहीं हैं.
त्रिपुरा में वक्त का पहिया ऐसा घूमा कि माणिक सरकार जहां से चले थे, बीस साल बाद फिर से उसी ठौर पर आ रुके. पार्टी दफ्तर की चारदीवारी से माणिक ने सत्ता का सफर तय किया था और अब वापस उसी दफ्तर के दो छोटे कमरे में माणिक सरकार और उनकी पत्नी का नया ठिकाना बनेगा. पूर्व सीएम होने के नाते माणिक सरकार को एक गाड़ी भी मिलेगी.
चार दशकों पहले भारतीय राजनीति में कदम रखने वाले माणिक सरकार की सादगी की दुनिया आज भी कायल है. जानकार मानते हैं कि माणिक की सादगी एक दिखावा नहीं बल्कि एक विरासत है. उनके गुरु जब सीएम पद से हटे थे तब उनके पास एक धोती और एक कपड़ा था. वो ही माणिक सरकार को राजनीति में लेकर आए थे. सीएम पद गंवाने के बाद माणिक सरकार को हर महीने पार्टी से एक तय रकम मिलेगी. जिससे उन्हें महीने भर गुजारा करना होगा.