नई दिल्ली: मुस्लिम महिलाओं पर त्वरित तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत जैसे अत्याचारी प्रथा पर रोक लगाने के लिए मोदी सरकार ने आज लोकसभा में बिल पेश कर दिया है. केंद्रीय कानून मंत्री ने अपने बयान में कहा है कि ये बिल किसी धर्म, मंदिर या मस्जिद से जुड़ा हुआ नहीं है बल्कि नारी सम्मान से जुड़ा है.


उन्होंने कहा कि ये मामला किसी धर्म, परंपरा या प्रथा का नहीं है बल्कि नारी अधिकार और सम्मान का मामला है. हालांकि बिल पेश होने के बाद इसमें शामिल सजा के प्रावधान को लेकर लोकसभा में बवाल भी हुआ.

तीन तलाक: जानें- शुरु से लेकर अबतक इस मामले की बड़ी बातें


बता दें कि बिल पेश होने के बाद आल इंडिया मजलिसें इत्तेहादुल मुसलमीन AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन औवेसी ने इसका विरोध किया है. वहीं, नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी और बिहार में लालू यादव की पार्टी आरजेडी ने भी बिल का विरोध किया है.


रविशंकर प्रसाद ने सवाल उठाया कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को गैरकानूनी करार दिया है, अगर फिर भी ये जारी रहा तो क्या ये संसद खामोश रहेगी?


लोकसभा में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक दिन है. यह बिल महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने के लिए है.


इस बिल का नाम मुस्लिम वीमेन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज) बिल रखा गया है. बिल में तीन तलाक को गैर कानूनी और असंवैधानिक घोषित किया गया है.


हर तरीके से जैसे- बोलकर, लिखकर, मैसेज, फोन, व्हाट्सएप, फेसबुक से तीन तलाक देना अब गैर कानूनी होगा. ऐसा करने वालों को तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है.


इस बिल में पीड़ित महिला को भरण पोषण, गुजारा भत्ता और नाबालिग बच्चे को रखने का अधिकार दिया जाएगा. जुर्माने की रकम, गुजारा भत्ता और बच्चों के बारे में फैसला मजिस्ट्रेट को करना होगा.


सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कानून बनाने के लिए कहा था


आपको बता दें कि इसी साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को गैर कानूनी करार दिया था और सरकार को कानून बनाने के लिए कहा था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद देशभर में करीब 67 ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जिसमें सबसे ज्यादा मामले यूपी से हैं.


यूपी में विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने तीन तलाक का मुद्दा जोर शोर से उठाया था. बीजेपी को यूपी में बंपर जीत भी मिली. खुद पीएम मोदी यूपी से लेकर गुजरात चुनाव और लाल किले तक से तीन तलाक का जिक्र कर चुके हैं.