लक्ष्मी विलास बैंक के संकट के सामने आते ही भारतीय बैंकिंग सिस्टम पर एक बार फिर से सवालिया निशान खड़ा हो गया है. लोगों की जमा पूंजी बैंकों में जमा होने के कारण लोगों को अपने पैसे पर भी संकट दिखाई दे रहा है. साथ ही अब लोगों के मन में ये सवाल भी घर कर गया है कि आखिर बैंक में उनका पैसा कितना सुरक्षित है?


पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (पीएमसी बैंक) और येस बैंक के बाद अब लक्ष्मी विलास बैंक पर मोरेटोरियम लगया गया है. एक महीने के इस मोरेटोरियम के तहत सरकार ने 16 दिसंबर 2020 तक निकासी की सीमा तय कर दी है. जिसके कारण लक्ष्मी विलास बैंक से ग्राहकों को फिलहाल 25 हजार रुपये तक की निकासी की ही इजाजत दी गई है.


लक्ष्मी विलास बैंक को लेकर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) का कहना है कि लक्ष्मी विलास बैंक लिमिटेड की आर्थिक हालात पिछले कई सालों से खराब है. तीन साल से ज्यादा वक्त से बैंक को लगातार घाटे का सामना करना पड़ा है. जिसके कारण बैंक की नेटवर्थ घटी है. वहीं एक पुख्ता योजना के बगैर और बढ़ते नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) के बीच घाटा आगे भी बढ़ सकता है.


हालांकि बैंकों पर मोरेटोरियम लागू करने से ग्राहकों पर काफी असर देखने को मिला है. कई लोगों की जिंदगी भर की कमाई बैंक में जमा होती है और बैंक में मोरेटोरियम लागू करने के कारण उनकी पूरी कमाई पर ही संकट के बादल मंडराने लगते हैं. हालांकि ऐसे कई तरीके हैं जिनसे लोग बैंकों में जमा अपने पैसे को सुरक्षित रख सकते हैं. आइए जानते हैं इनके बारे में....


पांच लाख रुपये की गारंटी
अगर ऐसी स्थिति बनती है कि बैंक डूब गया, तो ऐसे हालात में बैंक के ग्राहकों को पांच लाख रुपये की गारंटी होती है. अगर डूबे हुए बैंक में पांच लाख या इससे ज्यादा की रकम जमा है तो बैंक के डूबने की हालात में ग्राहक को पांच लाख रुपये ही मिलेंगे. ग्राहकों का पांच लाख रुपये तक का पैसा बैंक के डूबने की हालात में वापस मिल जाएगा. दरअसल, डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) ग्राहकों को बैंक डिपॉजिट पर पांच लाख रुपये तक की सुरक्षा गारंटी देता है. जिसके तहत जमा राशि पर पांच लाख रुपये का बीमा होता है.


अलग-अलग बैंक अकाउंट
वहीं जिन लोगों के पास पांच लाख रुपये से ज्यादा का धन है तो ऐसे हालात में ग्राहकों को अपना पैसा सुरक्षित रखने के लिए अलग-अलग बैंक अकाउंट में धन जमा करना चाहिए. ऐसे में ग्राहकों का पैसा अलग-अलग बैंकों में सुरक्षित भी रहेगा और बैंक के डूबने की हालात में पांच लाख रुपये तक की गांरटी भी मिलेगी.


सरकारी बैंक या प्राइवेट बैंक
सरकारी बैंकों को प्राइवेट बैंकों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित माना जाता है. दरअसल, प्राइवेट बैंक पर निजी लोगों का कंट्रोल होता है. उस बैंक का मालिकाना हक निजी हाथों में होने के कारण बैंक अगर डूबता है तो उसकी भरपाई के लिए संसाधन भी सीमित होता है. वहीं दूसरी तरफ सरकारी बैंक सरकार के अधीन कार्यरत होते हैं. अगर सरकारी बैंक डूबता है तो सरकार के पास कई संसाधन और विकल्प मौजूद होते हैं और सरकार उस बैंक को बचाने की पूरी कोशिश करती है क्योंकि सरकारी बैंक डूबने की हालात में सरकार की साख पर भी सवाल खड़ा हो जाता है. साथ ही सरकार के पास सरकारी बैंक के डूबने की हालात में उसके घाटे की भरपाई के लिए कई अन्य रास्ते भी होते हैं.


एक से ज्यादा बैंकों में अकाउंट फायदेमंद
अक्सर लोगों को एक से ज्यादा बैंकों में अकाउंट रखना झंझट भरा लगता है. लेकिन पीएमसी बैंक और लक्ष्मी विलास बैंक जैसे उदाहरण को देखकर लगता है कि एक से ज्यादा बैंकों में बैंक अकाउंट रखना फायदेमंद साबित हो सकता है. ऐसी स्थिति में अगर कोई एक बैंक डूबने की कगार पर आता है या किसी एक बैंक पर निकासी की सीमा तय की जाती है तो दूसरे बैंक में खोले गए अकाउंट से जरूरत की राशि निकाली जा सकती है.