नई दिल्ली: जहां एक तरफ देश में थर्ड जेंडर को बराबरी का दर्जा दिए जाने की चर्चाएं चल रही हैं और सुप्रीम कोर्ट ने भी उनके जेंडर को पहचान देने के निर्देश दिए हुए हैं. वहीं दूसरी तरफ विमानन कंपनी एयर इंडिया के एक ट्रांसजेंडर को नौकरी देने से मना करने के बाद उसने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर 'इच्छा मृत्यु' दिए जाने की दरख्वास्त की है. शानवी पोन्नुस्वामी ने एयर इंडिया में केबिन क्रू के सदस्य के तौर पर नौकरी के लिए आवेदन किया था. कंपनी के नौकरी देने से मना करने के बाद शानवी ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट का रुख कर कंपनी के निर्णय को चुनौती दी थी.

इसके बाद शीर्ष अदालत ने इस संबंध में एयर इंडिया और नागर विमानन मंत्रालय से चार हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने के लिए कहा कहा था. राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में शानवी ने दावा किया है कि न तो एयर इंडिया और न ही नागर विमानन मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट के नोटिस का जवाब दिया है. बिना नौकरी के वह अपना गुजारा करने में सक्षम नहीं हैं और इसलिए वह 'इच्छा मृत्यु' दिए जाने की दरख्वास्त कर रहे हैं.

ट्रांस राइट्स नाऊ कलेक्टिव नामक फेसबुक पेज ने शानवी के पत्र के हवाले से लिखा है, "यह स्पष्ट है कि भारत सरकार मेरे जीवन के मुद्दे और रोजगार के प्रश्न पर जवाब देने को तैयार नहीं है. मैं अपने रोजाना के खान-पान पर खर्च करने की भी स्थिति में नहीं हूं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई के लिए वकीलों को पैसा देना संभव नहीं है."

अपने पत्र में उन्होंने लिखा है कि उनके लिंग के कारण उन्हें मूल अधिकार देने से वंचित कर दिया गया है. शानवी ने लिखा कि उन्होंने ग्राहक सहायक कार्यकारी के तौर पर एक साल तक एयर इंडिया में नौकरी की और उसके बाद लिंग परिवर्तन कराने की सर्जरी करा ली. इसके बाद दो साल के दौरान चार बार नौकरी के लिए आवेदन किया लेकिन नौकरी नहीं दी गई.