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टूलकिट विवादः दिशा रवि को जमानत, हिंसा और देश के खिलाफ साजिश रचने का संबंध साबित नहीं कर पाई दिल्ली पुलिस

दिशा को जमानत देते हुए अदालत ने आदेश में कहा कि आरोपी दिशा का इससे पहले का कोई आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं है लिहाजा कोई वजह नहीं बनती की 22 साल की लड़की को हिरासत में रखा जाए. इसी आधार पर दिशा को ज़मानत दी जा रही है.

नई दिल्लीः टूलकिट मामले में दिल्ली पुलिस की गिरफ्त में आई दिशा रवि को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने जमानत दे दी. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि दिशा की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस कोर्ट के समक्ष कोई भी तथ्य पेश नहीं कर पाई जिससे यह साबित होता है कि दिशा की वजह से दिल्ली में हिंसा हुई या दिशा के ज़हन में कहीं कोई देश विरोधी विचार था. 19 पन्ने के अपने आदेश में अदालत ने दिल्ली पुलिस की दलीलों के साथ ही दिशा के वकील की दलीलों का जिक्र भी किया और उन पर अदालत की क्या टिप्पणी है इस बारे में भी विस्तार से लिखा है.

अदालत ने अपने आदेश में दिल्ली पुलिस द्वारा दी गई दलीलों को एक-एक कर खारिज किया है और साफ तौर पर कहा कि अदालत के सामने ऐसा कोई भी तथ्य नहीं आया जिससे यह साबित होता हो कि दिशा के टूलकिट तैयार करने की वजह से कैसे देश विरोधी साजिश रची गई. इस टूलकिट की वजह 26 जनवरी को दिल्ली में हिंसा हुई. साथ ही पुलिस यह भी साबित नहीं कर पाई कि कैसे ग्रेटा को टुलकिट भेजकर दिशा ने दुनिया के सामने कोई देश विरोधी काम किय.

फैसले में कहा गया कि पुलिस यह भी नहीं बता पाई कि टूल के तैयार होने के बाद क्या किसी भारतीय दूतावास के बाहर कोई हिंसात्मक कार्रवाई हुई. रही बात पुलिस की जांच की तो किसी नागरिक के अधिकार का हनन इस वजह से नहीं किया जा सकता क्योंकि दिल्ली पुलिस की जांच जारी है.

दो आरोपियों को मिल चुका है ट्रांजिट बेल

कोर्ट ने कहा कि रही बात पुलिस की जांच की तो दिशा पहले ही पुलिस के पास 5 दिन तक हिरासत में रह चुकी है और इन 5 दिनों के दौरान पुलिस को जो पूछताछ करनी थी कर चुकी है. इस दौरान किसी भी तरह की कोई चीज की बरामदगी भी नहीं हुई है.

कोर्ट ने आदेश में टिप्पणी करते हुए कहा कि इस मामले में दो और आरोपी हैं जिनका कथित अपराध दिशा से ज्यादा गंभीर है उनको मुंबई हाईकोर्ट से ट्रांजिट एंटीसिपेटरी बेल भी मिली हुई है. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि दिल्ली में हुई हिंसा और दिशा रवि द्वारा तैयार की गई टूट के में कहीं कोई सीधा संबंध दिल्ली पुलिस नहीं पकड़ पाई है.

आदेश में कहा गया है कि जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने अदालत में यह भी माना कि पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के खिलाफ कोई भी आपराधिक मामला दर्ज नहीं है और न ही वह प्रतिबंधित संगठन है. इतना ही नहीं पोएटिक जस्टिस के को-फाउंडर मो धालीवाल और अनीता लाल के खिलाफ भी ऐसा कोई मामला नहीं है. न ही पुलिस यह साबित कर पाई की दिशा रवि की सीधे तौर पर इन लोगों से कोई बातचीत हुई या इन्होंने मिलकर कोई साजिश रची जिसकी वजह से 26 जनवरी को हिंसा हुई.

टूककिट की वजह से हिंसा के सबूत नहीं

अगर ऐसा कोई सबूत नहीं है कि दिशा रवि का सीधे तौर पर 26 जनवरी की हिंसा से कोई सीधा संबंध है तो ऐसा नहीं माना जा सकता कि वह किसी देश विरोधी गतिविधियों में शामिल रही है. अगर वह किसी ऐसे लोगों के संपर्क में आई थी जिन्होंने किसी कानून का विरोध किया तो इसको देशद्रोह नहीं माना जा सकता.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा की कोर्ट के सामने ऐसा भी कोई तथ्य नहीं आया जिससे यह साबित होता है कि 26 जनवरी हिंसा मामले में जो लोग गिरफ्तार हुए हैं उनमें से किसी ने टूल किट की वजह से हिंसा करने की बात कबूल की हो या सीधे तौर पर दिशा रवि से कोई संबंध बताया हो. इसके साथ ही सिख फॉर जस्टिस संगठन से भी दिशा रवि का कोई सीधा संबंध स्थापित नहीं हुआ है.

इस बीच दिशा की जमानत का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने बताया कि दिशा रवि और किसान एकता डॉट के बीच संबंध स्थापित हुआ है. लेकिन दिल्ली पुलिस यह साबित नहीं कर पाई कि किसान एकता डॉट को किसी तरह की देश विरोधी गतिविधि में शामिल है.

पेज में भी नहीं दिखा कुछ भी देश विरोधी

कोर्ट ने अपने आदेश में ऋग्वेद और संविधान का भी जिक्र करते हुए कहा कि हमारी सभ्यता 5000 साल पुरानी है. जहां पर अलग-अलग विचारों को जगह दी जाती रही है. ऋग्वेद में भी कहा गया है कि "हमारे पास चारों ओर से ऐसे कल्याणकारी विचार आते रहे जो किसी से ना जाने उन्हें कहीं से बाधित ना किया जा सके एवं अज्ञात विषयों को प्रकट करने वाले हो." यही अधिकार हमारे संविधान में भी दिया गया है कि देश के हर एक नागरिक के पास स्वतंत्रता से अपनी बात कहने का अधिकार है. हमारे पूर्वजों ने भी दूसरे विचारों को हमेशा ही जगह दी है.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि दिल्ली पुलिस अपनी दलीलों में #AskIndiaWhy की बात करती है और उससे जुड़े हुए पेज का जिक्र करती है. लेकिन कोर्ट को उस पेज में ऐसा कुछ नहीं दिखा, जिसको देश विरोधी माना जाए.

दिल्ली पुलिस की दलील है कि दिशा ने इंटरनेशनल फार्मर स्ट्राइक के नाम से एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया और उसी ने टूलकिट भी बनाई लेकिन व्हाट्सएप ग्रुप बनाना और टूलकिट बनाना कहीं से देश विरोधी नहीं कहा जा सकता. रही बात शांतनु की जो दिशा के व्हाट्सएप ग्रुप में था अगर वह दिल्ली में किसान रैली में शामिल हुआ तो उससे भी कोई अपराध साबित नहीं होता. सिर्फ इस वजह से ही दिशा को कटघरे में खड़ा कर देना कि उसने व्हाट्सएप चैट डिलीट कर दिए और टूलकिट हटा दी उसको आरोपी नहीं बना देता.

शर्तों के साथ मिली जमानत

इस तरह से दिल्ली पुलिस वाला दी गई एक-एक दलील का जिक्र करते हुए कोर्ट ने उसको ऐसा गंभीर तथ्य और सबूत नहीं माना जिसके आधार पर दिशा को जमानत न दी जाए. दिशा को जमानत देते हुए कोर्ट ने कुछ शर्ते भी रखी. इन शर्तों के मुताबिक दिशा जांच में सहयोग करेगी, बिना कोर्ट की अनुमति के देश के बाहर नहीं जाएगी, और जब दिल्ली पुलिस उस को पूछताछ के लिए बुलाएगी वह पुलिस के सामने हाजिर होगी.

अदालत का यह आदेश जिस दौरान आया उस दौरान दिशा को एक दूसरी अदालत में पेश किया गया था और पुलिस ने दिशा के लिए 4 दिन की पुलिस हिरासत की मांग की थी. लेकिन जैसे ही अदालत को पता चला कि दूसरी अदालत से दिशा को जमानत मिल गई है अदालत ने दिशा की पुलिस हिरासत की मांग वाली अर्जी को सुनने से इनकार कर दिया.

टूलकिट मामला: दिशा रवि को मिली ज़मानत, दिल्ली पुलिस ने 13 फरवरी को किया था गिरफ्तार 

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