नई दिल्लीः राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आज अपना 75 वां जन्मदिन मना रहे हैं. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का जन्म 1 अक्टूबर 1945 में उत्तर प्रदेश में कानपुर के परौंख गांव में हुआ था. राष्ट्रपति कोविंद लितों के कोली समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. रामनाथ कोविंद उत्तर प्रदेश से चुने गए पहले राष्ट्रपति हैं. रामनाथ कोविंद ने 25 जुलाई 2017 को भारत के राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभाला था.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू सोशल मीडिया के माध्यम से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को जन्मदिन की शुभकामनाएं दी हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा 'राष्ट्रपति जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं. उनकी समृद्ध अंतर्दृष्टि और नीतिगत मामलों की समझदारी हमारे राष्ट्र के लिए बहुत बड़ी संपत्ति है.मैं उनके अच्छे स्वास्थ्य और लंबे जीवन के लिए प्रार्थना करता हूं.'





वहीं उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने ट्वीट करते हुए लिखा 'राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी को जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. जन सरोकारों को समर्पित आपके यशस्वी सार्वजनिक जीवन और अनुभवी नेतृत्व का लाभ राष्ट्र को प्राप्त हुआ है. राष्ट्र के लिए समर्पित आपके जीवन में स्वास्थ्य, सुख और संतोष की कामना करता हूं.'





बता दें कि राष्ट्रपति चुने जाने से पहले रामनाथ कोविंद बिहार के राज्यपाल पद पर कार्यरत थे. रामनाथ कोविंद बीते तीस साल से भी ज्यादा समय से राजनीति में सक्रिय हैं. अपने लम्बे राजनीतिक जीवन में शुरू से ही उन्होंने अनुसूचित जातियों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं की लड़ाई लड़ी है. बीजेपी दलित मोर्चा और अखिल भारतीय कोली समाज के अध्यक्ष रह चुके कोविंद बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के तौर पर भी सेवाएं दे चुके हैं. रामनाथ कोविंद उत्तर प्रदेश में बीजेपी के सबसे बड़े दलित चेहरा माने जाते थे.


रामनाथ का राजनीतिक सफर


रामनाथ ने 1990 में बीजेपी में शामिल होकर लोकसभा चुनाव लड़ा. चुनाव तो हार गए लेकिन 1993 और 1999 में पार्टी ने इन्हें राज्यसभा भेज दिया गया. इस दौरान रामनाथ बीजेपी अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बने. साल 2007 में रामनाथ बोगनीपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े लेकिन फिर जीत नहीं सके. इसके बाद उन्हें यूपी बीजेपी संगठन में सक्रिय करके प्रदेश का महामंत्री बनाया गया. जिसके बाद उन्हें बिहार का राज्यपाल बनाया गया.


दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में की वकालत


एलएलबी की पढ़ाई करने के बाद रामनाथ ने आईएएस की तैयारी की थी. सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास भी की लेकिन आईएएस कैडर न मिलने की वजह से उन्होंने वकालत करने का फैसला किया. रामनाथ कोविंद ने दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वकालत की. 1977 से 1979 तक दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार के वकील रहे. जबकि 1980 से 1993 तक सुप्रीम कोर्ट में वकालत की.


एक वकील के रूप में कोविंद ने हमेशा गरीबों और कमजोरों की मदद की. खासकर अनुसूचित जातिाअनुसूचित जनजाति के लोगों, महिलाओं, जरूरतमंदों और गरीबों की वह फ्री लीगल एड सोसाइटी के बैनर तले मदद करते थे.


इसे भी पढ़ेंः
कोरोना वायरस: सितंबर सबसे बुरा महीना, भारत में आए 41 फीसदी नए केस और 34 फीसदी लोगों की मौत


डोनाल्ड ट्रंप का दावा- कोरोना से हुई मौत के आंकड़े छिपा रहे हैं भारत-रूस और चीन