टीएमसी ने बांग्लदेश में हो रही घटनाओं की निंदा की है. पार्टी ने कहा कि राष्ट्रीय मुद्दे पर वह हमेशा केंद्र सरकार और देश के साथ खड़ी रही है. टीएमसी ने बयान जारी कर कहा, 'बीजेपी के कुछ नेताओं की ओर से बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल की स्थिति और ये कहना कि ऐसी घटनाएं यहां भी हो सकती है, ये बहुत खतरनाक है. इस मामले में विदेश मंत्री एस. जयशंकर को स्पष्टीकरण देना चाहिए.'

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'सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश कर रही BJP'

तृणमूल कांग्रेस ने कहा, 'अगर ऐसे बयानों के परिणामस्वरूप कोई हिंसा या अशांति होती है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी बीजेपी नेताओं की ही होगी. चुनावों से पहले बीजेपी राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश कर रही है, लेकिन ममता बनर्जी की मां-माती-मानुष सरकार बंगाल में ऐसा कुछ भी नहीं होने देगी. यह नहीं भूलना चाहिए कि यह वही बीजेपी है जिसने कभी दावा किया था कि बंगाली भाषा जैसी कोई चीज नहीं है. राणाघाट से बीजेपी सांसद ने तो यहां तक ​​कह दिया था कि अगर उनकी सरकार आई तो भारत-बांग्लादेश सीमा हटा दी जाएगी.'

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भारत-बांग्लादेश बॉर्डर को लेकर बीजेपी सांसद का बयान

रानाघाट से बीजेपी सांसद ने कहा था कि 2026 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी सत्ता में आती है तो भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर कंटीली तारों की बाड़ नहीं रहेगी. पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने बांग्लादेश की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पड़ोसी देश में हिंसा के पीछे कट्टरपंथियों का हाथ है. उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि स्थिति पर उनका नियंत्रण है. भट्टाचार्य ने कहा कि केंद्र सरकार और विदेश मंत्रालय स्थिति से उचित ढंग से निपट रहे हैं और वे उसी अनुरूप जवाब देंगे.

उन्होंने कहा, 'बांग्लादेश में कट्टरपंथ और चरमपंथ कैंसर की तरह फैल रहा है. सभी सही सोच वाले लोगों को इस खतरे से लड़ने के लिए एकजुट होना चाहिए. 1980 के दशक से ही बांग्लादेश में कट्टरपंथी ताकतें अपनी जड़ें फैला रही हैं. यह हदें पार कर चुकी हैं. जैसा कि कल रात देखा गया, स्वतंत्र विचारक और उदारवादी व्यक्ति भी हमलों का शिकार हो रहे हैं. पूरी दुनिया कट्टरपंथ का खामियाजा भुगत रही है. एक राष्ट्रवादी सरकार और पार्टी ही इन चुनौतियों का सामना कर सकती है.'

(ये स्टोरी अपडेट की जा रही है...)