नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी के खिलाफ देशभर में विरोध-प्रदर्शन जारी है. इस बीच आज सीएए और एनआरसी को लेकर विपक्षी दलों की बैठक होने वाली है. लेकिन इस बैठक से पहले ही विपक्ष में बिखराव देखने को मिल रहा है. जानकारी मिल रही है कि ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बाद अब मायावती की पार्टी (बहुजन समाज पार्टी) बीएसपी शामिल नहीं होगी.
वहीं अब आम आदमी पार्टी ने कहा है कि उन्हें इस बैठक के लिए नहीं बुलाया गया है. आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि हमें ऐसी किसी भी बैठक की जानकारी नहीं है. इसलिए बैठक में जाने का कोई मतलब ही नहीं. हमें इसकी जानकारी नहीं है.
मयावती बोलीं- कांग्रेस राजस्थान में विधायक तोड़ रही, इसलिए नहीं जाएंगे बीएसपी प्रमुख मायावती ने साफ कर दिया है कि वो भी इस बैठक में नहीं जाएंगे. उन्होंने कांग्रेस पर राजस्थान में बीएसपी का विधायक तोड़ने का आरोप भी लगाया. मायावती ने ट्वीट किया, ''जैसाकि विदित है कि राजस्थान कांग्रेसी सरकार को बीएसपी का बाहर से समर्थन दिये जाने पर भी, इन्होंने दूसरी बार वहाँ बीएसपी के विधायकों को तोड़कर उन्हें अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है जो यह पूर्णतयाः विश्वासघाती है.''
उन्होंने आगे लिखा, ''ऐसे में कांग्रेस के नेतृत्व में आज विपक्ष की बुलाई गई बैठक में बीएसपी का शामिल होना, यह राजस्थान में पार्टी के लोगों का मनोबल गिराने वाला होगा. इसलिए बीएसपी इनकी इस बैठक में शामिल नहीं होगी.'' मायावती ने यह भी साफ किया कि उनकी पार्टी बीएसपी सीएएके खिलाफ है. उन्होंने लिखा, ''ऐसे में कांग्रेस के नेतृत्व में आज विपक्ष की बुलाई गई बैठक में बीएसपी का शामिल होना, यह राजस्थान में पार्टी के लोगों का मनोबल गिराने वाला होगा. इसलिए बीएसपी इनकी इस बैठक में शामिल नहीं होगी.''
ममता बनर्जी ने भी इस बैठक में आने से मना कर दिया है तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही इस बैठक में आने से स्पष्ट इंकार कर चुकी हैं. ममता ने आरोप लगाया था कि लेफ्ट और कांग्रेस इस मामले पर ‘गंदी राजनीति’ कर रही हैं.
येचुरी ने की विपक्षी दलों से अपील वहीं, कई विपक्षी दलों के बैठक में शामिल नहीं होने पर सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई की राह में राजनीतिक दलों के राज्यों में स्थानीय स्तर पर आपसी विरोध बाधक नहीं बनना चाहिये. येचुरी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘भारत के धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र की बीजेपी और संघ के हमलों से रक्षा करना प्रत्येक देशभक्त का लक्ष्य है. अपने संविधान को बचाने की राह में राज्य और स्थानीय स्तर पर आपसी विरोध और प्रतिद्वंद्विता बाधक नहीं बनना चाहिये. हमने केरल में यह साबित किया है कि इस संघर्ष को कैसे एकजुट होकर अंजाम दिया जा सकता है.’’
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