सुप्रीम कोर्ट ने लोगों से अपील की है कि वह सार्वजनिक जगहों पर नवजात शिशु को स्तनपान करवाने वाली माताओं को हतोत्साहित करने वाली बात न कहें. कोर्ट ने लोगों को अबोध शिशुओं और महिलाओं के प्रति कर्तव्य की याद दिलाते हुए सरकार से भी कहा है कि वह सार्वजनिक जगहों पर शिशु देखभाल कक्ष बनवाए.
'मातृ स्पर्श' नाम की संस्था की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया था कि कुछ अपवादों को छोड़ कर एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन जैसी महत्वपूर्ण इमारतों में भी नवजात शिशु की देखभाल के लिए जरूरी कमरा उपलब्ध नहीं करवाया जाता है. यह सुविधा इन इमारतों के अलावा सभी सार्वजनिक जगहों पर उपलब्ध कराई जानी चाहिए. इससे शिशु आराम से मां का दूध पी सकेगा और उसकी माता को भी असहज स्थिति का सामना नहीं करना पड़ेगा.
2022 में इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और सभी राज्यों को नोटिस जारी किया था. जजों ने इसे एक महत्वपूर्ण मुद्दा कहा था. इसके जवाब में केंद्र सरकार ने बताया था कि उसने सभी सार्वजनिक विभागों और राज्य सरकारों को इस विषय पर एडवाइजरी जारी की है. जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की बेंच ने फरवरी 2024 की एडवाइजरी को रिकॉर्ड पर लेते हुए केंद्र सरकार से कहा है कि वह सभी विभागों और राज्य सरकारों को एक बार फिर रिमाइंडर भेजे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जो सार्वजनिक भवन अभी निर्माणाधीन हैं, उनमें 'स्तनपान और शिशु देखभाल' कक्ष बनवाया जाए. जो सार्वजनिक भवन पहले से बने हुए हैं, उनमें भी इस तरह के कक्ष की व्यवस्था की जाए. सुप्रीम कोर्ट ने इसे संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता) और 15(3) (सरकारी नौकरियों में भेदभाव न किए जाने) जैसे मौलिक अधिकारों से जुड़ा विषय कहा है. साथ ही, कार्यस्थल पर महिलाओं की निजता और नवजात बच्चों की देखभाल के लिहाज से भी इसे महत्वपूर्ण कहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में संयुक्त राष्ट्र संघ के विशेष प्रतिनिधि की 2016 की एक रिपोर्ट का भी हवाला दिया है. भोजन के अधिकार और महिलाओं और शिशुओं के कल्याण से जुड़ी इस रिपोर्ट में कहा गया था कि अगर स्तनपान को बढ़ावा दिया जाए तो हर वर्ष 8 लाख 20 हजार जीवन की रक्षा हो सकती है. इस रिपोर्ट में महिलाओं को स्तनपान के प्रति हतोत्साहित करने या उन्हें तनाव में डालने वाली स्थितियों पर चिंता जताई गई थी. कोर्ट ने कहा है कि सरकार को तो अपना काम करना ही चाहिए, लेकिन आम लोगों को भी स्तनपान करवाने वाली माताओं को हतोत्साहित करने से बचना चाहिए.
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