नई दिल्ली: किसानों का आंदोलन दिल्ली की सीमाओं पर आज लगातार 56वें दिन जारी है. इस बीच आज सरकार और करीब 40 प्रदर्शनकारी किसान संगठनों की 10वें दौर की बैठक हुई. यह बैठक भी बेनतीजा रही. किसानों और सरकार के बीच अब 22 जनवरी को दोपहर 12:00 बजे बैठक होगी.
सूत्रों के मुताबिक बैठक में सरकार ने किसानों को प्रस्ताव दिया कि नए कृषि कानून पर दो साल के लिए रोक लगा कर कमेटी बना लें. कृषि मंत्री ने यहां तक कहा कि अगर कमेटी बनाकर बिंदुवार चर्चा के लिए किसान तैयार होते हैं तो सरकार इस बारे में कोर्ट में हलफनामा भी देने को तैयार हो जाएगी कि क़ानून दो साल के लिए स्थगित कर देंगे.
सरकार के इस प्रस्ताव पर किसान संगठनों ने कहा है कि हम इसपर विचार करेंगे.
बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आज का दिन काफ़ी महत्वपूर्ण है. गुरु गोविंद सिंह जी का प्रकाश पर्व है. हमारी कोशिश थी कि उनका नाम लेकर बैठक शुरू हो और कोई न कोई निर्णय हो जाए. सरकार खुले मन से और बड़े हृदय से किसानों की मांग पर विचार करने को तैयार थी.
तोमर ने कहा कि हम लोगों ने ये प्रस्ताव दिया कि आपके मन में जो शंकाएं हैं उसे दूर करने के लिए खुले मन से विचार करेगी लेकिन उसके लिए समय चाहिए और ये समय छह महीने, एक साल और डेढ़ साल भी हो सकता है.
किसान संगठनों ने भी कहा है कि हम सरकार के प्रस्ताव पर विचार करेंगे. कल इसको लेकर किसान संगठन बैठक करेंगे.
सरकार ने पिछली वार्ता में किसान संगठनों से अनौपचारिक समूह बनाकर अपनी मांगों के बारे में सरकार को एक मसौदा प्रस्तुत करने को कहा था. हालांकि किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे.
बता दें कि सरकार और किसान संगठनों के मध्य चल रही वार्ता के बीच उच्चतम न्यायालय ने 11 जनवरी को गतिरोध समाप्त करने के मकसद से चार सदस्यीय समिति का गठन किया था लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों ने नियुक्त सदस्यों द्वारा पूर्व में कृषि कानूनों को लेकर रखी गई राय पर सवाल उठाए. इसके बाद एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने खुद को इस समिति से अलग कर लिया है.
प्रदर्शनकारी किसानों का आरोप है कि इन कानूनों से मंडी व्यवस्था और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद की प्रणाली समाप्त हो जाएगी और किसानों को बड़े उद्योग घरानों की ‘कृपा’ पर रहना पड़ेगा. हालांकि, सरकार इन आशंकाओं को खारिज कर चुकी है.
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