कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ अभियानः दो साल में 360 से ज्यादा आतंकी मारे गए
एजेंसी | 09 Sep 2018 10:58 PM (IST)
सीआरपीएफ के महानिदेशक (डीजी) राजीव राय भटनागर ने कहा है कि सुरक्षा बलों के लगातार अभियान के कारण कश्मीर घाटी में आतंकियों की उम्र घट गयी है और दो साल में ही 360 से ज्यादा आतंकी मारे जा चुके हैं
नई दिल्ली: सीआरपीएफ के महानिदेशक (डीजी) राजीव राय भटनागर ने कहा है कि सुरक्षा बलों के लगातार अभियान के कारण कश्मीर घाटी में आतंकियों की उम्र घट गयी है और दो साल में ही 360 से ज्यादा आतंकी मारे जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि घाटी में आतंकी समूहों से जुड़ने वाले स्थानीय नौजवानों की संख्या का आंकड़ा बढ़ा है, लेकिन सुरक्षा बल युवाओं को हथियार उठाने से रोकने के लिए सभी मुमकिन तरीके से उन तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं. भटनागर ने कहा कि सुरक्षा चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए सीआरपीएफ ने जम्मू कश्मीर में अपने जवानों की सुरक्षा का स्तर बढ़ा दिया है. पूरे शरीर की हिफाजत के लिए बचाव के साधन, बुलेट प्रूफ वाहन, विशेष बख्तरबंद वाहन के जरिए जवान काम कर रहे हैं. कश्मीरी युवा भटके हुए हैं- डीजी जम्मू कश्मीर में जो आतंकी उनमें से कुछ बाहरी हैं और कुछ भटके हुए युवा हैं, जो आतंकी समूहों से जुड़ रहे हैं. यह मिला-जुला है. संख्या घट-बढ़ सकती है लेकिन अगर आप समय को देखें कि कौन सा आतंकी जम्मू कश्मीर में जिंदा बच रहा है तो संकेत साफ है कि इसका कोई असर नहीं है. आतंकियों की उम्र, जिंदा बचने का समय, बहुत कम है. इसलिए की संख्या भले ज्यादा हो लेकिन परिणाम सीमित हैं. उनसे पूछा गया था कि आतंकी समूहों द्वारा स्थानीय कश्मीरी युवकों की भर्ती क्या बढ़ रही है और क्या यह चिंता का कारण है. देश के सबसे बड़े अर्द्धसैन्य बल के प्रमुख ने कहा कि युवक इसमें (आतंकी संगठन में) जा रहे हैं क्योंकि इसको लेकर थोड़ा आकर्षण है लेकिन उन्हें समझना होगा उन्हें कोई नतीजा नहीं मिलने वाला. हम एक इकाई के तौर पर काम कर रहे हैं. इससे हमें बहुत कामयाबी मिली है. इस साल 142 आतंकियों को ढेर किया गया. अगर आप पिछले साल के आंकड़े को देखें तो 220 से ज्यादा आतंकी मारे गए. सुरक्षा बलों के बीच बढ़िया तालमेल है और उन्हें बढ़त मिली हुई है. हमने उन्हें मुख्यधारा में लाने की बहुत कोशिश की यह बस समय की बात है. हमने उन्हें मुख्यधारा में लाने की बहुत कोशिश की है और समर्पण के लिए भी कहा है और उनमें से कई वापस भी आए हैं. उन्हें समझना होगा कि हथियार उठाने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा. युवाओं के हथियार उठाने पर सीआरपीएफ प्रमुख ने कहा, निश्चित तौर पर यह ऐसी चीज है कि हमें इसे रोकना होगा और उपयुक्त कदम उठाना होगा ताकि युवा आतंकी रास्ता अख्तियार नहीं करें और जिन्होंने ऐसा किया है वो वापस आ जाएं. भटनागर ने कहा कि सुशासन, कामकाज में पारदर्शिता और बहुआयामी कदम से जम्मू कश्मीर और घाटी में लोगों और युवाओं में विश्वास बढ़ाने का काम किया जा रहा है. उनका बल और राज्य पुलिस तथा सेना बेहतर तालमेल से काम कर रहे हैं. कश्मीर घाटी में 60 से ज्यादा बटालियन तैनात हैं. भटनागर ने कहा कि घाटी में आतंकी परिदृश्य में सुरक्षा बल को बढ़त मिली है. पैलेट गन का इस्तेमाल वहां किया जाता है जहां जरूरी होता है पैलेट गन के इस्तेमाल और स्थानीय लोगों को उससे हुए नुकसान के बारे में पूछे जाने पर भटनागर ने कहा कि इन गोला-बारूदों को नहीं छोड़ा जा रहा, लेकिन इसके इस्तेमाल के लिए एक तय मानक संचालन प्रक्रिया है. सीआरपीएफ प्रमुख ने कहा कि पैलेट गन का इस्तेमाल वहां किया जाता है जहां पर भीड़ को हटाने के लिए इसका इस्तेमाल करना जरूरी होता है. सबसे पहले समुचित बंदोबस्त से हमारा पूरा प्रयास उन्हें तितर-बितर करने का होता है. इसके अलावा हमारे पास बड़ी संख्या में प्लास्टिक बुलेट भी है जिसका इस्तेमाल किया जाता है. जिस क्रम में हम बल का प्रयोग करते हैं वह निर्धारित है. हम आंसू गैस के गोले छोड़कर और गैर घातक गैस के इस्तेमाल के जरिए उन्हें तितर-बितर करते हैं.