रायपुर: लोकसभा में कृषि मामलों की स्थायी समिति ने छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना की तारीफ की है. समिति ने यहां तक कहा है कि यह योजना पूरे देश में शुरू की जानी चाहिए. समिति ने मंगलवार को सदन में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी जिसमें इस योजना की सराहना की गई.
समिति ने केंद्र सरकार को दिए अपने सुझाव में कहा है कि किसानों से उनके मवेशियों का गोबर खरीदने से उनकी आय में बढ़ोतरी होने के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर बढ़ेंगे, जैविक खेती को प्रोत्साहन मिलेगा, साथ ही आवारा मवेशियों की समस्या का भी समाधान होगा. लोकसभा में रिपोर्ट प्रस्तुत करने से पूर्व यह समिति केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधिकारियों को भी ऐसा ही सुझाव दे चुकी है.
बता दें छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल के नेतृत्व में 20 जुलाई 2020 से राज्य में गोबर को गोधन बनाने का लक्ष्य लिए गोधन न्याय योजना लागू की गई. इस योचना में जिसमें पशु पालकों से गोबर खरीद करके गोठानों में वर्मीकंपोस्ट एवं अन्य उत्पादों का निर्माण किया जा रहा है.
छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना का संचालन सुराजी गांव योजना के तहत गांव-गांव में निर्मित गौठानों के माध्यम से किया जा रहा है. इन गोठानों में पशुओं के चारे और स्वास्थ्य की देखभाल के साथ-साथ रोजगारोन्मुखी गतिविधियां भी संचालित की जा रही हैं. इन्हीं गोठानों में गोधन न्याय योजना के तहत वर्मी कंपोस्ट टांकों का निर्माण किया गया है, जिनमें स्व सहायता समूहों की महिलाएं जैविक खाद का निर्माण कर रही हैं. गोबर की खरीद गोठान समितियों के माध्यम से 2 रुपए किलो की दर से की जाती है. अब तक गोबर विक्रेता किसानों, पशुपालकों और संग्राहकों को 80 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है. स्व सहायता समूहों द्वारा अब तक 71 हजार 300 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया जा चुका है.
वर्तमान में 7 हजार 841 स्व-सहायता समूह गोठान की गतिविधि संचालित कर रहे है. इन समूहों के लगभग 60 हजार सदस्यों को वर्मी खाद उत्पादन, सामुदायिक बाड़ी, गोबर दिया निर्माण इत्यादि विभिन्न गतिविधियों से 942 लाख की आय प्राप्त हो रही है.
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