नई दिल्ली: तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर की हत्या में इस्तेमाल में लाए गए हथियार को कथित अपराधियों ने नष्ट नहीं किया. हथियार को नष्ट नहीं किए जाने के पीछे कारण है कि वे उस हथियार को अपने लिए‘भाग्यशाली’समझते थे. यह कहना है केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो(सीबीआई)से जुड़े सूत्रों का.
सीबीआई से जुड़े सूत्रों ने बताया कि संभव है कि उसी हथियार का इस्तेमाल गोविंद पनसारे, एम एम कलबुर्गी और गौरी लंकेश की हत्या करने में उपयोग किया था. गोविंद पनसारे और एम एम कालबुर्गी की हत्या 2015 में कर दी गई थी. गौरी लंकेश की हत्या पिछले साल बंगलुरु में कर दी गई थी. इन सभी का झुकाव वामपंथ की ओर था.
एजेंसी ने हालांकि कहा कि हथियार की बैलिस्टिक जांच के बाद ही इस बारे में कुछ भी पुख्ता तौर पर कहा जा सकेगा. सीबीआई ने हाल में औरंगाबाद के रहने वाले सचिन अंदुरे को पुणे से गिरफ्तार कर उससे पूछताछ की है. सिटी पुलिस ने हथियार कानून के तहत अवैध रूप से हथियार रखने के मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया. औरंगाबाद का रहने वाला आंदुरे 18 अगस्त को गिरफ्तार हुआ था. अधिकारियों ने कहा कि समझा जाता है कि आंदुरे 20 अगस्त 2013 को पुणे में दाभोलकर पर दिनदहाड़े गोलियां चलाने वाले शूटरों में से एक है.
कौन थे नरेन्द्र दाभोलकर? नरेन्द्र दाभोलकर महाराष्ट्र में समाज में व्याप्त कुरीतियों के उन्मूलन के लिए कार्य करते थे. वे महाराष्ट्र अंधश्रद्दा निर्मूलन समिति(एमएएनएस) के संस्थापक थे. दाभोलकर ने 12 सालों से डॉक्टर के पेशे का कार्य किया. 1980 से वे सामाजिक कार्यों में लगे हुए थे. एक सुबह टहलने गए नरेन्द्र की गोल मारकर हत्या कर दी गई थी